काशी का प्राचीन शिव मंदिर सावन में भी सूना, नहीं गूंजे भोलेनाथ के जयकारे,
भक्तों को पूजा शुरू होने का इंतजार
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के पौराणिक शहर वाराणसी में एक बार फिर धार्मिक आस्था और प्रशासनिक समझदारी का एक अनोखा उदाहरण सामने आया है। जनवरी 2025 में वाराणसी के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र मदनपुरा स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का ताला प्रशासन और दोनों समुदायों की सहमति से खोला गया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि महीनों बाद, यहां तक कि सावन जैसे पवित्र माह में भी मंदिर में अब तक पूजा पाठ शुरू नहीं हुआ है। यह स्थिति स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रशासन की सूझबूझ से खुला था मंदिर का ताला
यह मंदिर वर्षों से बंद पड़ा था। दिसंबर-जनवरी में हिंदू संगठन सनातन रक्षा दल के अजय शर्मा ने मंदिर को खोलने की मांग की। यह क्षेत्र संवेदनशील माना जाता है क्योंकि यहां अधिकतर आबादी मुस्लिम समुदाय की है। मामला जब प्रशासन तक पहुंचा तो अधिकारियों ने दोनों पक्षों से बातचीत की और सौहार्दपूर्ण तरीके से 8 जनवरी 2025 को दोपहर में मंदिर का ताला खोल दिया गया। इस दौरान मंदिर में शिवलिंग का विधिवत अभिषेक भी किया गया। मंदिर के खुलने पर न तो किसी ने विरोध किया और न ही कोई विवाद खड़ा हुआ। हालांकि ताला खुलने के समय खरमास का महीना चल रहा था, जिस कारण धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर में नियमित पूजा प्रारंभ नहीं की जा सकती थी। इसी वजह से पुजारियों और संगठन की सहमति से मंदिर का कपाट पुनः बंद कर दिया गया और चाभी भक्तों को सौंप दी गई।
सावन में भी नहीं हो रही पूजा, लोगों में हैरानी
अब जब खरमास बीत चुका है और सावन का पावन महीना चल रहा है, तब भी मंदिर में कोई पूजा-अर्चना शुरू नहीं हुई है। भक्तों को यह समझ नहीं आ रहा कि आखिर पूजा में देरी क्यों हो रही है। कुछ संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि जब मंदिर को विवाद के बिना खोला गया, तो अब वहां रोजाना पूजा-पाठ क्यों नहीं हो पा रहा।
काशीवासियों को है पूजा शुरू होने का इंतजार
स्थानीय लोगों का कहना है कि सिद्धेश्वर महादेव का यह मंदिर एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है और इसे सावन जैसे पवित्र महीने में भी खाली देखना दुखद है। सभी चाहते हैं कि यहां जल्द से जल्द नियमित पूजा शुरू हो और काशी के धार्मिक महत्व में एक और अध्याय जुड़ सके। फिलहाल भोलेनाथ के भक्तों को उस दिन का इंतजार है जब मंदिर में घंटियों की गूंज और मंत्रों की ध्वनि फिर से सुनाई दे।