उत्तर प्रदेश में छह महीने के लिए ESMA लागू,
सभी सरकारी कर्मचारियों पर हड़ताल प्रतिबंधित
3 days ago
Written By: Aniket Prajapati
राज्य सरकार ने अगले छह महीने के लिए आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ESMA) लागू कर दिया है। सरकार की अधिसूचना के मुताबिक अधिसूचना की तारीख से छह महीने की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम, 1966 (यूपी अधिनियम संख्या 30, 1966) की धारा 3(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग कर हड़ताल पर रोक लगा दी गई है। इसका मतलब है कि अब राज्य के सभी विभागों, कार्यालयों स्थानीय निकायों, निगमों, बोर्डों और प्राधिकरणों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारी किसी भी तरह की हड़ताल नहीं कर सकेंगे। आदेश में कहा गया है कि हड़ताल करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आदेश का दायरा और कानूनी परिणाम
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध पूरे राज्यभर में लागू होगा, इसमें बिजली विभाग, शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारी सहित सभी सरकारी संस्था-एकाइयाँ शामिल हैं। ESMA के तहत हड़ताल को अवैध घोषित कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सजा का प्रावधान होता है। नियमों के अनुसार हड़ताल करने पर छह माह तक की कैद या जुर्माना या दोनों लग सकते हैं। सरकार ने बताया है कि इस अवधि के दौरान किसी भी कर्मचारी संगठन या समूह द्वारा हड़ताल किये जाने की स्थिति में शासकीय कार्रवाई की जाएगी।
फैसला क्यों लिया गया है
यह निर्णय राज्य में बिजली और शिक्षा विभाग के कुछ संगठनों द्वारा हड़ताल की चेतावनी दिए जाने के बाद लिया गया। सरकार का तर्क है कि बिजली तथा शिक्षा जैसे आवश्यक सेवाओं में हड़ताल से आम जनता को बड़ा नुकसान होगा, बिजली कटौती, स्कूलों में रुकावट और रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ सकता है। इसी लिए लोगों को असुविधा से बचाने के उद्देश्य से ESMA लागू किया गया है ताकि आपातकालीन और आवश्यक सेवाएं सुचारू रूप से चलती रहें।
ESMA क्या है — सरल भाषा में समझें
आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ESMA) एक ऐसा कानून है जो सरकार को आवश्यक सेवाओं में हड़ताल रोकने और व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार देता है। इसे आमतौर पर जनता के हित के लिए लागू किया जाता है ताकि किसी भी सरकारी या अनिवार्य सेवा में व्यवधान न आए। कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अस्थायी वाद-विवाद के कारण सार्वजनिक जीवन प्रभावित न हो। सरकार ने जनता से कहा है कि वह शांत रहे और किसी भी तरह की जानकारी के लिए अपने विभागीय अधिकारियों से संपर्क करे; साथ ही कर्मचारियों से अपील की गई है कि वे संवैधानिक रास्ते से अपनी मांगें रखें ताकि सार्वजनिक हित सुरक्षित रहे।