यूपी में SIR का पहला चरण खत्म,
शहरी वोटों का गांवों में पलायन BJP के लिए चिंता बना
6 days ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण के खत्म होते ही भाजपा के अंदर चिंता तेजी से बढ़ने लगी है। बड़े पैमाने पर शहरी मतदाता अपने वोट शहर से हटाकर गांव के पते पर स्थानांतरित कर रहे हैं। शहरी इलाके भाजपा के मजबूत ठिकाने रहे हैं और 2024 के लोकसभा तथा 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शहरी सीटों पर ठीकठाक प्रदर्शन किया था। इस बदलाव से 2027 के विधानसभा चुनावों की राजनीति प्रभावित हो सकती है, इसलिए शीर्ष नेतृत्व सक्रिय हो गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में अलीगढ़ में SIR की समीक्षा के दौरान कार्यकर्ताओं को चेताया और कहा कि विपक्षी दल इस प्रक्रिया का गलत लाभ उठा रहे हैं।
शहरी वोट पलायन और उसके आंकड़े शहरी वोटों के गांवों में जाने का असर साफ दिख रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से बताया जा रहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में 17 शहरी सीटों में से भाजपा ने 12 जीतीं, जबकि 2022 विधानसभा में 86 शहरी सीटों में से 65 भाजपा के खाते में रहीं। नगर निकाय चुनाव 2023 में भी भाजपा ने 17 में से सभी 17 मेयर सीटें जीतीं। हालांकि अब कई शहरी वोटर अपने नाम गांव में जोड़ रहे हैं, लखनऊ में 21.73 लाख शहरी वोटरों में करीब 10–12% यानी लगभग 2.6 लाख वोटर गांव का पता चुन रहे हैं। प्रयागराज में करीब 2 लाख और फैजाबाद (अयोध्या) में लगभग 41,000 वोटर गांव का पता चुन चुके हैं।
कारण और भाजपा की प्रतिक्रिया लोगों के गांव में नाम जोड़ने का बड़ा कारण पुश्तैनी जमीन का डर बताया जा रहा है। इसके अलावा रिश्तेदारी, गांव में स्थानीय चुनावों पर प्रभाव और शहरी किराये का अस्थायी जीवन भी वजह है। भाजपा ने सक्रिय कदम उठाए हैं, सीएम ने सांसदों व विधायकों के साथ ऑनलाइन बैठक कर SIR पर फोकस का निर्देश दिया। कई नेताओं को काम पर लगाया गया: धर्मपाल सिंह, केशव प्रसाद मौर्य (प्रयागराज, कौशांबी, मिर्जापुर, झांसी), ब्रजेश पाठक (नोएडा, गाजियाबाद, बाराबंकी, सीतापुर), भूपेंद्र चौधरी (अयोध्या, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, जौनपुर) ने समीक्षा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस पर चिंता जताई और राज्य अध्यक्ष भूपेंद्र से चर्चा की।
आगे की रणनीति और चुनौती
भाजपा नेताओं का निर्देश है कि कम से कम एक सदस्य का वोट शहर में बनाए रखें ताकि शहरी वोटों की संख्या कम न हो। पार्टी का मानना है कि यदि यह ट्रेंड जारी रहा तो 2027 में शहरी सीटों पर उसकी पकड़ ढीली हो सकती है और मुकाबला तीन-तरफ़ा या कठिन हो जाएगा। अब पंचायत से लेकर विधानसभा तक SIR का प्रभाव चुनावी गणित पर बड़े बदलाव ला सकता है, इसलिए भाजपा हर संभव कदम उठा रही है ताकि शहरी आधार मजबूत रहे।