यूपी में स्कूल मर्जर पर हाईकोर्ट की सख्ती, सीतापुर में लगाई रोक,
पूछा– बिना प्लान के खतरे में क्यों डाला बच्चों का भविष्य
2 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Allahabad High Court: उत्तर प्रदेश सरकार की प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के मर्जर योजना पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर जिले में स्कूल मर्जर की प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। अदालत ने बच्चों और उनके अभिभावकों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार को फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। अदालत ने मर्जर की प्रक्रिया में पाई गई खामियों पर नाराजगी जताई और कहा कि बिना किसी ठोस योजना या सर्वे के इस तरह का फैसला बच्चों की शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
50 से ज़्यादा बच्चों वाले स्कूल भी मर्ज
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की डबल बेंच ने पाया कि जिन स्कूलों में 50 से अधिक छात्र पढ़ रहे थे, उन्हें भी मर्जर की सूची में शामिल कर लिया गया। यह शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के मानकों के विरुद्ध है। अदालत ने सरकार से सवाल किया कि जब बच्चे स्कूल जाने को तैयार नहीं हैं और शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है, तो इस तरह का निर्णय कैसे लिया गया? अदालत ने कहा कि न तो सरकार की ओर से कोई सर्वे किया गया है और न ही स्पष्ट योजना पेश की गई है।
21 अगस्त को अगली सुनवाई
बता दें कि कोर्ट ने सरकार से 21 अगस्त तक जवाब मांगा है। तब तक मर्जर की प्रक्रिया को रोकने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह के अहम फैसलों से पहले छात्रों और उनके अभिभावकों की परेशानियों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। प्रदेशभर में शिक्षकों और संगठनों में मर्जर योजना को लेकर भारी नाराजगी है। प्राथमिक शिक्षक संघ समेत कई संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। सोमवार को लखनऊ में हज़ारों शिक्षकों ने प्रदर्शन कर स्कूल बचाओ, शिक्षा बचाओ के नारे लगाए। शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों के बीच पहले से ही बहुत दूरी है, और मर्जर से बच्चों को 3 से 5 किलोमीटर तक पैदल स्कूल जाना पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें और सरकार का पक्ष
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि आरटीई के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए नजदीकी स्कूल जरूरी है, और मर्जर से उनकी शिक्षा और सुरक्षा पर असर पड़ेगा। वहीं, सरकार का कहना है कि कई स्कूलों में नामांकन बेहद कम है और संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। मर्जर के जरिए इन्हें बेहतर सुविधाएं और आधारभूत ढांचा दिया जाएगा। कुछ स्कूलों को पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र या लाइब्रेरी में बदला जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने इस पर फिलहाल रोक लगाकर यह साफ संकेत दे दिया है कि बच्चों की सुविधा और कानून के दायरे में रहकर ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए।