हाईकोर्ट ने यूपी के 5000 से ज्यादा स्कूलों के मर्जर पर फैसला सुरक्षित रखा,
बच्चों की याचिका में उठे शिक्षा के अधिकार और दूरी के मुद्दे
22 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: लखनऊ हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के 5000 से अधिक प्राइमरी और जूनियर स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाएं सीतापुर जिले की रहने वाली छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 स्कूली बच्चों की ओर से दाखिल की गई थीं, जिनमें सरकार के इस फैसले को शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है।
स्कूल मर्जर से बच्चों की पढ़ाई पर खतरा- याचिकाकर्ता की कोर्ट में दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा ने कोर्ट में दलील दी कि राज्य सरकार के इस फैसले से हजारों बच्चों और शिक्षकों का भविष्य प्रभावित होगा। खासतौर पर गांवों के बच्चों को 2 से 3 किलोमीटर दूर दूसरे स्कूलों में पढ़ने जाना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा बाधित हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह फैसला बच्चों के मौलिक अधिकारों पर असर डालता है।
सरकार बोली- शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने को लिया गया फैसला
सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेशिया ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार की मंशा स्कूलों को बंद करने की नहीं है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय बेहतर शैक्षणिक प्रबंधन के लिए लिया गया है। इसके जरिए संसाधनों का सही इस्तेमाल और शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की कोशिश की जा रही है। जिन स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है, उनमें से कई भवनों का उपयोग अन्य सार्वजनिक कार्यों में किया जाएगा। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। अब कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस फैसले से राज्य भर के लाखों छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को स्पष्टता मिलेगी।