यूपी में बंद हो सकते हैं 27 हजार सरकारी स्कूल,
सडकों पर उतरेगा शिक्षक संघ और AAP
24 days ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 30 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने के फैसले के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध शुरू हो गया है। इस फैसले से प्रदेश के 27,000 से अधिक स्कूलों पर बंदी का खतरा मंडरा रहा है, जिसे लेकर शिक्षक संगठन और आम आदमी पार्टी (AAP) दोनों ही सड़कों पर उतर आए हैं।
तीन चरणों में आंदोलन की योजना
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने प्रदेश के 822 ब्लॉकों में शिक्षकों, अभिभावकों और ग्राम प्रधानों के साथ बैठकें कर सरकार के इस फैसले का विरोध करने का निर्णय लिया है। आंदोलन को तीन चरणों में विभाजित किया गया है:
- 3-4 जुलाई: प्रदेश के विधायक और सांसदों को ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें स्कूलों को बंद न करने की मांग की जाएगी।
- 6 जुलाई: सोशल मीडिया पर हैशटैग अभियान चलाया जाएगा ताकि जनता को इस फैसले के दुष्प्रभावों के बारे में बताया जा सके।
- 8 जुलाई: सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।
27 हजार स्कूलों की बंदी, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
सरकारी स्कूलों की संभावित बंदी को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी आंदोलन तेज कर दिया है। AAP के प्रदेश प्रवक्ता वंशराज दुबे ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार 27,000 सरकारी स्कूल बंद कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का सीधा उल्लंघन है। पार्टी ने आज प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। लखनऊ में दोपहर 2:30 बजे कैसरबाग में बड़ा प्रदर्शन होगा, जहां AAP कार्यकर्ता और नेता इस फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।
शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन
वहीं, शिक्षक संघ ने सरकार के इस कदम को शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन बताया है। संघ का मानना है कि इस फैसले से न केवल बच्चों की शिक्षा प्रभावित होगी, बल्कि लाखों शिक्षकों, शिक्षामित्रों और प्रधानाध्यापकों की नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो जाएगा।
सरकार की मंशा पर सवाल
वहीं, शिक्षकों और राजनीतिक दलों का कहना है कि गांवों में पहले से ही स्कूल और शिक्षा व्यवस्था कमजोर है। ऐसे में 30 से कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद करना एक प्रकार से ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश है। वहीं, अब सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर हैं। क्या सरकार शिक्षक संगठनों और आम आदमी पार्टी के विरोध को सुनकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी या फिर यह आंदोलन और तेज़ होगा ?