अब पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं करना पड़ेगा लंबा इंतजार, 4 घंटे में होगा पोस्टमॉर्टम,
यूपी सरकार की नई गाइडलाइन लागू
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में पोस्टमॉर्टम को लेकर बड़ी व्यवस्था परिवर्तन किया गया है। अब पीड़ित परिवारों को अपने प्रियजन के शव के लिए घंटों तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश के बाद पूरे प्रदेश में नई गाइडलाइन लागू की गई है। इस नई व्यवस्था के तहत अब किसी भी शव का पोस्टमॉर्टम अधिकतम चार घंटे के भीतर किया जाएगा। यह निर्देश सभी जिलों के पोस्टमॉर्टम हाउसों में लागू होंगे।
सूर्यास्त के बाद सामान्य मामलों में नहीं होगा पोस्टमॉर्टम
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने स्पष्ट आदेश जारी किए हैं कि जिन जिलों में पोस्टमॉर्टम की संख्या अधिक होती है, वहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) दो या उससे अधिक डॉक्टरों की टीमें बनाकर काम को जल्दी पूरा करें। ताकि पीड़ित परिवारों को शव के लिए लंबे समय तक इंतजार न करना पड़े। डिप्टी सीएम ने निर्देश दिया है कि सूर्यास्त के बाद आम तौर पर पोस्टमॉर्टम न किया जाए। हालांकि, अगर हत्या, आत्महत्या, यौन अपराध, क्षत-विक्षत शव या संदिग्ध हालात में मौत हो, तो रात में पोस्टमॉर्टम सिर्फ अपरिहार्य स्थिति में और जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति पर ही किया जाएगा। रात में पोस्टमॉर्टम के लिए 1000 वॉट की कृत्रिम रोशनी और अन्य जरूरी संसाधनों की व्यवस्था अनिवार्य की गई है।
पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी के लिए नहीं ली जाएगी कोई फीस
सरकार ने यह भी तय किया है कि पोस्टमॉर्टम से जुड़ी कोई भी वसूली नहीं की जाएगी। खासकर वीडियोग्राफी के लिए पीड़ित परिवार से पैसे नहीं लिए जाएंगे। यह खर्च रोगी कल्याण समिति या अन्य फंड से किया जाएगा। पुलिस केस, एनकाउंटर, पुलिस हिरासत में मौत, विवाह के पहले 10 साल में महिला की मौत आदि मामलों में पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य की गई है।
अब ऑनलाइन मिलेगी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट
डिप्टी सीएम ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं। हर पोस्टमॉर्टम हाउस में एक कंप्यूटर ऑपरेटर और दो डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात किए जाएंगे। शवों को पोस्टमॉर्टम हाउस तक पहुंचाने के लिए हर जिले में दो शववाहनों की व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं।
महिला मामलों में अब पोस्टमॉर्टम पैनल में महिला डॉक्टर अनिवार्य
महिला अपराध या संदिग्ध महिला मृत्यु के मामलों में पोस्टमॉर्टम पैनल में महिला डॉक्टर की मौजूदगी अनिवार्य होगी। वहीं, अज्ञात शव की स्थिति में डीएनए सैंपलिंग भी कराई जाएगी ताकि पहचान सुनिश्चित हो सके। सरकार की इस नई पहल से अब पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, त्वरित और संवेदनशील बन सकेगी।