उत्तर प्रदेश में लेखपालों को मिलेंगे स्थायी व स्मार्ट वर्क स्टेशन, सप्ताह में दो दिन तहसील में बैठेंगे लेखपाल,
जमीनी विवादों से निपटने में मिलेगी मदद
7 days ago
Written By: STATE DESK
UP Lekhpal Desk: उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा आपराधिक घटनाएं जमीन विवादों को लेकर होती हैं। इन विवादों को समय पर हल करने की अहम जिम्मेदारी लेखपालों पर होती है, लेकिन लेखपालों के पास न तो स्थायी बैठने की जगह है और न ही जरूरी संसाधन। इस समस्या को दूर करने के लिए अब सरकार लेखपालों के लिए स्थायी डेस्क की व्यवस्था करने जा रही है। साथ ही उनका कामकाज स्मार्ट बनाने की भी तैयारी है। जिसके तहत लेखपाल सप्ताह में दो दिन तहसील में बैठेंगे और उन्हें कामकाज के लिए स्मार्टफोन, कम्प्यूटर जैसे जरुरी उपकरण दिए जाएंगे।
पहले चरण में 50 तहसीलों में बनेंगे लेखपाल डेस्क
मिली जानकारी के मुताबिक, राजस्व परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार ने इसका प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा है। पहले चरण में प्रदेश की 50 तहसीलों में लेखपालों के लिए डेस्क बनाए जाएंगे। हर डेस्क पर रोजाना 50-60 लेखपाल बैठ सकेंगे। एक तहसील में 300 से 400 लेखपाल तैनात होते हैं। ऐसे में हर लेखपाल को सप्ताह में दो दिन डेस्क पर बैठने का मौका मिलेगा। उस दिन वे रिपोर्ट तैयार करने, सत्यापन और अन्य जरूरी कार्य पूरे करेंगे।
डेस्क पर मिलेंगी जरूरी सुविधाएं
लेखपालों की डेस्क पर कंप्यूटर या लैपटॉप की व्यवस्था होगी। वे अपनी लॉगिन आईडी और पासवर्ड से सिस्टम ऑपरेट कर सकेंगे। साथ ही उनके लिए अलग से लॉकर भी होगा, जिसमें वे बैग, चार्जर आदि रख सकेंगे।
प्लास्टिक की कुर्सी पर करना पड़ता है काम
लेखपाल संघ के महामंत्री विनोद कुमार कश्यप ने बताया कि, अभी लेखपालों को तहसील कार्यालय के हॉल में प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठना पड़ता है। पहले तो जमीन पर दरी बिछाकर ही काम करना पड़ता था। कई जगहों पर आज भी पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं।
लेखपालों पर बढ़ता काम, संसाधन नहीं
उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ का आरोप है कि, लेखपालों से मूल काम की बजाय अन्य विभागों के काम कराए जा रहे हैं। किसान सम्मान निधि, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, सीएम जनता दर्शन, जनसुनवाई पोर्टल से आने वाली शिकायतें – सभी का बोझ लेखपालों पर है।
ऑनलाइन काम, पर डिवाइस नहीं
लेखपालों से ज्यादातर काम ऑनलाइन कराए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें न स्मार्टफोन, न टैबलेट और न ही लैपटॉप दिया गया है। 2019 में मिले स्मार्टफोन अब खराब हो चुके हैं और लेखपालों ने उन्हें तहसील में जमा करा दिया है।
कम भत्ता और कम ग्रेड-पे
लेखपालों को स्टेशनरी के लिए महज ₹3.33 प्रतिदिन और यात्रा के लिए ₹6.66 प्रतिदिन भत्ता मिलता है, जबकि खर्च इससे कई गुना ज्यादा है। ग्रेड-पे भी यूपी में केवल ₹2000 है, जबकि उत्तराखंड में ₹3200, राजस्थान और मध्य प्रदेश में ₹2400 है।
58 हजार की जरूरत, केवल 9 हजार कार्यरत
राजस्व परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दी गई प्रेजेंटेशन में बताया है, कि प्रदेश में 58 हजार लेखपालों की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में 30,837 पद हैं। इनमें से 22,000 कार्यरत हैं, जिनमें 8,500 प्रशिक्षण में और 4,500 प्रतिनियुक्ति पर हैं। यानी, फिलहाल केवल 9,000 लेखपाल ही फील्ड में सक्रिय हैं।