AI, ड्रोन और सैटेलाइट से अब अवैध खनन पर चलेगा शिकंजा,
योगी सरकार की हाईटेक निगरानी
23 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में अवैध खनन और ओवरलोडिंग पर लगाम लगाने के लिए योगी सरकार ने अब आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। अब खनन क्षेत्र में सिर्फ इंसानी निगरानी नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन और सैटेलाइट डेटा की मदद से हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। सरकार की इस पहल से न केवल अवैध खनन पर रोक लग रही है बल्कि पर्यावरण की रक्षा की दिशा में भी यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब तक प्रदेश में 21,477 अवैध खनन में लिप्त और ओवरलोडिंग वाले वाहनों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है।
प्रदेश में 57 स्थानों पर लगाए गए AI आधारित चेकगेट्स
खनन विभाग ने पूरे प्रदेश में 57 स्थानों पर AI और IoT आधारित चेकगेट्स लगाए हैं। इन चेकगेट्स में वेट-इन-मोशन तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिससे यह तुरंत पता चल जाता है कि कौन सा वाहन ओवरलोड है। इस अभियान में परिवहन विभाग भी पूरा सहयोग कर रहा है। इसके साथ ही खनन कार्य में लगे वाहनों पर AIS140 GPS डिवाइस लगाए जा रहे हैं, जिससे वाहन की लोकेशन रियल टाइम में पता चलती है। यदि कोई वाहन तय रूट से हटता है तो तुरंत अलर्ट जारी होता है। विभाग MIS रिपोर्ट के जरिए यह भी निगरानी करता है कि कहीं कोई वाहन नियमों का उल्लंघन तो नहीं कर रहा।
ड्रोन से खनन क्षेत्र का वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस शुरू
ड्रोन की मदद से खनन क्षेत्र का वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस किया जा रहा है। यानी ड्रोन से क्षेत्र की लंबाई, चौड़ाई और गहराई मापकर यह तय किया जाता है कि तय सीमा से ज्यादा खनन तो नहीं हो रहा। इससे यह भी पता चलता है कि कितनी मिट्टी, रेत या पत्थर निकाला गया है।
सैटेलाइट से हो रही खनन गतिविधियों पर पैनी नजर
दरअसल, PGRES लैब सैटेलाइट डेटा जैसे LISS-IV, गूगल अर्थ और Arc-GIS से पूरे प्रदेश में खनन गतिविधियों पर नजर रखती है। इससे नए खनिज क्षेत्रों की पहचान भी हो रही है। वहीं, खनिज ले जाने वाले ट्रांसपोर्टरों को अब हितधारक मानते हुए उनका पंजीकरण भी शुरू किया गया है, जिससे जवाबदेही तय हो रही है। अवैध खनन से नदियों की कटान, जलस्तर में गिरावट और जमीन की उपजाऊ शक्ति पर असर पड़ता है। सरकार की यह तकनीकी निगरानी प्रणाली पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ राजस्व को भी सुरक्षित रखने का प्रयास है।