यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट पर सजा, फर्जी CBI अफसर बनकर महिला डॉक्टर से की थी 85 लाख की ठगी,
कोर्ट ने ठग को सुनाई 7 साल की कैद
8 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर ठगी के पहले मामले में लखनऊ की विशेष सीजेएम कस्टम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी देवाशीष राय को सात साल की कठोर सजा और 68,000 रुपये जुर्माने की सजा दी है। यह सजा लखनऊ की महिला डॉक्टर सौम्या गुप्ता से 85 लाख रुपये की ठगी के मामले में सुनाई गई है। आरोपी ने खुद को फर्जी सीबीआई और कस्टम अधिकारी बताकर “डिजिटल अरेस्ट” का नाटक किया और डॉक्टर को डराकर बैंक से बड़ी रकम ट्रांसफर करवा ली।
कैसे हुआ साइबर ठगी का खेल
यह मामला 1 मई 2024 का है। लखनऊ के केजीएमयू में तैनात डॉ. सौम्या गुप्ता को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर बुक किए गए पार्सल में नकली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएमए (नशीला पदार्थ) मिला है। इसके बाद कॉल एक फर्जी सीबीआई अधिकारी को ट्रांसफर कर दिया गया जिसने डॉ. सौम्या को डरा-धमकाकर 10 दिनों तक "डिजिटल अरेस्ट" में रखा। इस दौरान डर और तनाव का फायदा उठाकर आरोपी ने उनके खाते से 85 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और गिरफ्तारी
डॉ. सौम्या ने उसी दिन लखनऊ के साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तेजी दिखाते हुए सिर्फ पांच दिनों में गोमतीनगर विस्तार स्थित मंदाकिनी अपार्टमेंट से देवाशीष राय को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसने फर्जी पहचान पत्रों पर बैंक खाते और सिम कार्ड लिए थे, जिनका इस्तेमाल ठगी में हुआ। पुलिस ने बैंक खातों में से छह लाख रुपये फ्रीज भी कर लिए। अगस्त 2024 में मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
कोर्ट का फैसला और साइबर अपराधियों को चेतावनी
विशेष सीजेएम कोर्ट ने मात्र 438 दिनों में सुनवाई पूरी करते हुए देवाशीष को भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं जैसे 419, 420, 467, 468, 471 और आईटी एक्ट की धारा 66D के तहत दोषी करार दिया। 16 जुलाई 2025 को उसे सात साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई गई। डीसीपी (क्राइम) कमलेश दीक्षित ने इस फैसले को साइबर अपराधियों के लिए सख्त संदेश बताया।
डिजिटल अरेस्ट नया साइबर फ्रॉड
डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का खतरनाक तरीका बन चुका है, जिसमें अपराधी सरकारी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए डर पैदा करते हैं। वे मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स तस्करी जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं और इसी डर के सहारे लोगों से पैसे ऐंठते हैं।
सख्ती से निपट रही है साइबर टीम
इस मामले में लखनऊ साइबर थाना और इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव की प्रभावी पैरवी ने जल्दी सजा सुनिश्चित कराई। गृह मंत्रालय के अनुसार 2025 में अब तक डिजिटल अरेस्ट की 6,000 से अधिक शिकायतें मिली हैं। लखनऊ पुलिस का दावा है कि वे इस नए तरह की साइबर ठगी पर शिकंजा कसने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।