पुलिसिंग में व्यापक सुधार के लिए DGP का मास्टर प्लान,
21 आईपीएस अधिकारियों को सौंपी अहम जिम्मेदारी
1 months ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए डीजीपी राजीव कृष्ण ने एक नई और बड़ी पहल की है। पुलिसिंग को ज्यादा प्रभावी, व्यवहारिक और जवाबदेह बनाने के लिए उन्होंने प्रदेश के 21 आईपीएस अधिकारियों को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी हैं। इन अधिकारियों को पुलिस व्यवस्था से जुड़े दस अहम क्षेत्रों में सुधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी है। इसके लिए उन्हें एक महीने का वक्त दिया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश में भविष्य की पुलिसिंग का रोडमैप तय किया जाएगा।
केवल फाइलों में नहीं, जमीन पर दिखने चाहिए सुधार
डीजीपी राजीव कृष्ण का मानना है कि, यह समय पुलिस व्यवस्था को नए सांचे में ढालने का है। उन्होंने कहा है कि, सुधार केवल फाइलों में नहीं बल्कि जमीन पर दिखने चाहिए। इसलिए इस योजना में सिपाही से लेकर एडीजी रैंक तक के अफसरों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इतना ही नहीं, पीड़ितों, महिला पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों के फीडबैक को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा ताकि व्यवस्था जनोन्मुखी बन सके।
रुचि और विशेषज्ञता के आधार पर अलग-अलग जिम्मेदारियां
अधिकारियों को उनकी रुचि और विशेषज्ञता के आधार पर अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। जैसे महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा पर काम करने की जिम्मेदारी एडीजी पद्मजा चौहान और आगरा जोन की एडीजी अनुपम कुलश्रेष्ठ को सौंपी गई है। वहीं साइबर अपराध नियंत्रण पर काम करने के लिए एडीजी बीके सिंह और नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को नियुक्त किया गया है। अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर रिपोर्ट एडीजी एसके भगत और वाराणसी जोन के पीयूष मोर्डिया तैयार करेंगे।
मुख्यालय और फील्ड स्तर तक होगा काम
इसके अलावा, पुलिस कल्याण, कानून व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, तकनीकी सेवाएं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, प्रशिक्षण, विशेषज्ञता का उपयोग और बेहतर पुलिस सेवाओं जैसे विषयों पर भी वरिष्ठ अधिकारियों को काम सौंपा गया है। हर क्षेत्र में एक अधिकारी मुख्यालय स्तर पर और एक फील्ड स्तर पर काम करेगा, ताकि रिपोर्ट दोनों स्तरों की वास्तविकता को प्रतिबिंबित कर सके।
जमीन से जुड़ी व्यवस्था स्थापित करना लक्ष्य
डीजीपी ने साफ किया है कि, इस पहल का मकसद न सिर्फ पुलिसकर्मियों पर अतिरिक्त बोझ कम करना है, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था विकसित करना है जो ज़मीनी हकीकत से जुड़ी हो और आम आदमी को राहत पहुंचाए। उनका कहना है कि यह पहला मौका है जब इतने व्यापक स्तर पर पुलिसिंग सुधार को लेकर संरचित रूप से काम शुरू किया गया है। एक महीने बाद जब ये रिपोर्ट तैयार होकर सामने आएंगी, तो उम्मीद की जा रही है कि यूपी पुलिस की कार्यशैली में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
वहीं माना जा रहा है कि, नवागत DGP का ये कदम प्रदेश में पुलिस सुधार के इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो यूपी की पुलिस न सिर्फ तकनीकी रूप से सशक्त होगी, बल्कि लोगों के विश्वास पर भी खरी उतरेगी।