जातीय घटनाओं पर सख्त हुए मुख्यमंत्री योगी,
इटावा-कौशांबी-औरैया के अधिकारियों को फटकार
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश में बीते दिनों जातीय तनाव की घटनाओं ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मामलों को बेहद गंभीरता से लिया है और इसके मद्देनजर बुधवार को एक मैराथन बैठक कर कानून-व्यवस्था की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने तीन प्रमुख जिलों, इटावा, कौशांबी और औरैया के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और स्पष्ट निर्देश दिए कि, जातीय विद्वेष फैलाने की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सीएम योगी ने जताई नाराजगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बैठक में कहा कि "कुछ अराजक तत्व प्रदेश में जातीय तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं और यह एक सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा प्रतीत होता है।" उन्होंने अधिकारियों को सख्त लहजे में चेताते हुए कहा कि, ऐसी कोशिशें प्रदेशहित के खिलाफ हैं और किसी भी स्थिति में इन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पुलिस अधीक्षकों को लगाई फटकार
मुख्यमंत्री ने इटावा, कौशांबी और औरैया जिलों के पुलिस अधीक्षकों को विशेष रूप से तलब कर फटकार लगाई। इन जिलों में हाल ही में हुई घटनाओं ने शासन को चिंतित कर दिया है, जिनमें कथावाचकों के साथ दुर्व्यवहार, जातिगत अपमान और सामूहिक तनाव की स्थितियां उत्पन्न हुईं। इसके अलावा मुजफ्फरनगर जैसे अन्य जिलों में भी अपराध की बढ़ती घटनाओं पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई।
षड्यंत्र का तत्काल पर्दाफाश करने के निर्देश
मुख्यमंत्री योगी ने बैठक में अधिकारियों को दो टूक आदेश दिया कि, वे ऐसे मामलों में शासन से आदेश की प्रतीक्षा न करें। “तत्परता से कार्रवाई करें और दोषियों की पहचान सार्वजनिक करें। जितनी जल्द हो सके, इन साजिशों का पर्दाफाश किया जाए।”
राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बढ़ा
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री की इस नाराजगी का सीधा संबंध हाल ही में सामने आए जातीय उत्पीड़न के मामलों से है, जिनमें ओबीसी और पिछड़े वर्गों के साथ दुर्व्यवहार की खबरें हैं। ये घटनाएं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए राजनीतिक रूप से असहज स्थिति पैदा कर रही हैं, खासकर तब जब आगामी चुनावों को देखते हुए जातीय समीकरणों को साधना अहम है।
जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई
जानकारों का कहना है कि, आने वाले दिनों में इटावा, कौशांबी और औरैया के पुलिस अधीक्षकों पर गाज गिर सकती है। संभव है कि शासन उन्हें उनके पद से हटाने का निर्णय भी जल्द ले। साथ ही, सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाह रही है कि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई कर एक कड़ा संदेश दिया जाए।