संसद विवाद: कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी का बयान फिर हटा विवाद — कहा,
मैंने किसी को 'कुत्ता' नहीं कहा
4 days ago
Written By: Aniket Prajapati
संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी द्वारा एक कुत्ते को अपनी गाड़ी में लेकर संसद परिसर आने का मामला अब तक चर्चा में है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इस घटना को सांसदों के विशेषाधिकार का दुरुपयोग बताते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग कर दी थी। विवाद के बीच रेणुका ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने किसी सांसद को 'कुत्ता' नहीं कहा और यह कहकर कुत्तों का अपमान होगा। रेणुका ने यह भी बताया कि उन्होंने सड़क पर घायल दिख रहे एक डॉगी को उठाकर अपनी गाड़ी में बैठाया और बाद में वापस भेज दिया था। उनका यह बयान राजनीतिक नोकझोंक को और तेज कर सकता है।
क्या था पूरा घटनाक्रम?
मामला 1 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन का है। रेणुका चौधरी ने कहा कि रास्ते में उन्होंने सड़क पर एक डॉगी देखा जो किसी वाहन के नीचे आ सकता था। उसे बचाने के उद्देश्य से उन्होंने उसे अपनी गाड़ी में बैठाया और संसद परिसर तक पहुंचा दिया। वे बताती हैं कि बाद में कुत्ता वापस कर दिया गया और गाड़ी भी चली गई। उनका कहना है कि उन्होंने परिजनों या किसी सांसद को इसकी सूचना नहीं दी क्योंकि प्राथमिकता जानवर की सुरक्षा थी।
भाजपा सांसदों की प्रतिक्रिया और कार्रवाई की मांग
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इस मामले को संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया और सांसदों के विशेषाधिकार के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कड़ी कार्रवाई की माँग की और कहा कि यह लोकतंत्र और संसदीय मर्यादा के खिलाफ है। कुछ अन्य नेताओं ने भी इस घटना पर नाखुशी जाहिर की और जहां तक संभव हो, जांच की मांग उठाई गई।
रेणुका का बयान और नया मोड़
इंडिया टुडे के इंटरव्यू में रेणुका ने कहा कि उन्होंने किसी भी इंसान को 'कुत्ता' नहीं कहा क्योंकि कुत्तों में जो वफादारी, निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण होता है वह इंसानों में कम ही मिलता है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि इंसानों को कुत्ता कहना ठीक है; यह कुत्तों का अपमान होगा।” इसके साथ ही उन्होंने पहले दिए गए तंज़ "असली काटने वाले तो संसद में बैठे हैं" भी जिक्र किया था, जिसे विपक्ष और सरकार दोनों तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएँ मिली थीं।
आगे क्या हो सकता है?
इस बयान के बाद राजनीतिक घमासान तेज होने की संभावना है। भाजपा और विपक्ष के बीच शब्दवाली जंग बढ़ सकती है और संसद में विशेषाधिकार या अपमान से जुड़ी प्रक्रियाओं पर बहस उठ सकती है। फिलहाल दोनों पक्षों ने अपने-अपने बयानों के जरिए स्थिति गर्म रखी है और आगे की कार्रवाई/जांच पर नजर बनी हुई है।