SDM जयेंद्र सिंह ने सरकारी जमीन में किया खेल, मुजफ्फरनगर में 750 बीघा भूमाफिया के नाम किया दर्ज,
पोल खुली तो हो गए सस्पेंड
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की जानसठ तहसील में सरकारी जमीन घोटाले का मामला सामने आया है। 750 बीघा जमीन को भूमाफिया के नाम करने के आरोप में एसडीएम जयेंद्र सिंह को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। डीएम की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि एसडीएम ने तीन करोड़ रुपये रिश्वत लेकर सरकारी जमीन को गलत तरीके से निजी नामों में दर्ज किया। इस मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने तुरंत कड़ी कार्रवाई करते हुए एसडीएम को सस्पेंड कर दिया और आगे की जांच का आदेश दिया।
जमीन विवाद का इतिहास
घोटाले की जड़ गांव इसहाकवाला में डेरावाल कॉर्पोरेटिव फार्मिंग सोसाइटी से जुड़ी है। 1962 में स्थापित इस सोसाइटी के पास करीब 743 हेक्टेयर जमीन थी। वर्षों से सोसाइटी सदस्य जीवन दास के बेटे गुलशन और हरबंस के पोते के बीच स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा था। 2018 में तहसील प्रशासन ने हाई कोर्ट को स्पष्ट किया था कि हरबंस का इस जमीन से कोई संबंध नहीं है।
एसडीएम ने किया विवादित आदेश
मार्च 2024 में जानसठ तहसील में पदस्थ हुए एसडीएम जयेंद्र सिंह ने 19 जुलाई 2025 को आदेश जारी किया, जिसमें 600 बीघा सोसाइटी और 150 बीघा सरकारी जमीन हरबंस के वारिसों के नाम दर्ज कर दी गई। इस आदेश पर गुलशन और उनके बेटे ईशान ने जिलाधिकारी से शिकायत की। भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने भी एसडीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए।
जांच और आदेश वापसी
डीएम ने एडीएम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जांच के दबाव में एसडीएम ने रातों-रात अपना आदेश वापस ले लिया, लेकिन जांच में पुष्टि हुई कि जमीन सरकारी ही थी और आदेश गैरकानूनी था।
हाईवे किनारे जमीन और गंभीर गड़बड़ी
जमीन हाईवे के किनारे स्थित थी और पहले भी मुआवजे के लिए हाई कोर्ट में दावा किया गया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था। इसके बावजूद जमीन को निजी नामों में दर्ज करना गंभीर दोष माना गया।
शासन की कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी ने जांच रिपोर्ट शासन को भेजी। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर एसडीएम जयेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया। राजस्व विभाग में हड़कंप मचा है और आगे अन्य अधिकारियों और लाभार्थियों की भी जवाबदेही तय की जाएगी।