इलाहाबाद हाईकोर्ट का भावनात्मक फैसला, कहा-बेटी के लिए मां सबसे बड़ी हितैषी,
गूगल मैप और चैट बने ममता के गवाह
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक भावुक लेकिन अहम फैसले में कहा है कि बेटी की सबसे बड़ी हितैषी मां ही होती है। अदालत ने 12 वर्षीय बेटी की कस्टडी उसकी मां को सौंपते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने यह फैसला तब सुनाया जब एक कॉलेज प्रवक्ता मां ने अर्जी दी थी कि उसका पति उसकी नाबालिग बेटी को छलपूर्वक उससे अलग कर चुका है और अब वह बेटी से मिलने भी नहीं देती। यह मामला दिल्ली और गोरखपुर के बीच का है, जिसमें न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने फैसला सुनाया।
पति ने बेटी को गोरखपुर ले जाकर मां से किया अलग
मां ने कोर्ट में बताया कि उसके पति ने वर्ष 2021 में उनकी बेटी को गोरखपुर ले जाकर जबरन अपने पास रख लिया। इसके बाद से न तो वह बेटी से मिलने दे रहा है और न ही किसी तरह का संपर्क करने देता है। महिला ने कोर्ट के सामने व्हाट्सअप चैट और गूगल मैप की लोकेशन जैसे डिजिटल सबूत पेश किए ताकि यह साबित कर सके कि वह अपनी बेटी से मिलने के लिए कितनी कोशिशें कर रही है और उसे अपनी बेटी से गहरा जुड़ाव है। उसने इन सबूतों को अपने ममता के प्रमाण के रूप में रखा।
मां का साथ बेटी के मानसिक विकास के लिए जरूरी
वहीं पिता की ओर से यह तर्क दिया गया कि पत्नी ने खुद परिवार और बेटी का साथ छोड़ा था। इस आधार पर निचली अदालत ने बेटी के बयान के आधार पर मां की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए कहा कि किशोरावस्था में कदम रख रही बेटी के लिए मां का साथ बहुत जरूरी है। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसी उम्र में मां का संरक्षण और मार्गदर्शन बहुत मायने रखता है।
कोर्ट ने लखनऊ पुलिस आयुक्त को दिए निर्देश
कोर्ट ने पुलिस आयुक्त, लखनऊ को यह निर्देश भी दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि महिला का पति अपनी सरकारी पदीय स्थिति का दुरुपयोग न करे। हाईकोर्ट के इस फैसले को एक भावनात्मक और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है, जिसमें मां-बेटी के रिश्ते को प्राथमिकता दी गई है।