काशी कथा में बाबा रामदेव बोले- मोरारी बापू महापुरुष हैं, आलोचना नहीं होनी चाहिए,
सनातन में संवाद होता है, तनातनी नहीं
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: वाराणसी में रविवार को मोरारी बापू की नौ दिवसीय राम कथा का समापन हुआ। समापन के अंतिम दिन व्यासपीठ से बोलते हुए मोरारी बापू भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि हमें लगा था कि नौ दिन में सब कुछ कह दिया, लेकिन जब कथा पूरी कर मंच से उतर रहा हूं तो लग रहा है कि बहुत कुछ अधूरा है। बापू ने कथा के दौरान हुए विरोध को लेकर एक बार फिर महापुरुषों और सनातन समाज से माफी मांगी और कहा कि अगर किसी की भावना आहत हुई है तो वह क्षमा प्रार्थी हैं।
पत्नी के निधन के दो दिन बाद ही कथा में पहुंचे बापू
दरअसल, बापू की पत्नी का निधन 12 जून को हुआ था और वे 14 जून को कथा करने काशी पहुंच गए थे। उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और जलाभिषेक भी किया। इसी के चलते कथा शुरू होने पर कुछ लोगों ने विरोध जताया और वाराणसी में उनका पुतला फूंका। इसका जवाब बापू ने व्यासपीठ से दिया कि उनके पास भी शास्त्र है, लेकिन उन्होंने फिर भी क्षमा मांगी।
कथा के अंतिम दिन पहुंचे बाबा रामदेव
कथा के अंतिम दिन योग गुरु बाबा रामदेव भी कार्यक्रम में पहुंचे। रामदेव ने मोरारी बापू को महापुरुष बताते हुए कहा कि सनातन धर्म में विरोध नहीं संवाद होता है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कोई विधर्मी मुसलमान, ईसाई या कम्युनिस्ट आलोचना करें तो समझ आता है, लेकिन खुद को सनातनी कहने वाले लोग तनातनी क्यों कर रहे हैं?
राम-जानकी और कबीर की परंपरा से जोड़ा सिंदूर का भाव
मोरारी बापू ने व्याख्या करते हुए कहा कि नारी के सिंदूर की तरह पुरुषों को भी आत्मिक सिंदूर का अनुभव होता है, जब कोई बुद्ध पुरुष उन्हें अपनाता है। उन्होंने राम और जानकी के विवाह, शिव-पार्वती के संवाद और कबीर की परंपरा से यह बात जोड़ी। रामदेव ने कहा कि बापू और बाबा राजनीति से परे हैं। कोई नेता इन्हें नहीं बना सकता, ये स्वयं ही संस्कृति और राष्ट्र की धरोहर हैं। उन्होंने दोहराया कि सनातन धर्म विवाद नहीं, प्रेम और सम्मान का मार्ग है। कथा के समापन पर बापू ने घोषणा की कि अगली बार वह काशी कबीर मानस कथा लेकर आएंगे।