हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: शाही ईदगाह को 'विवादित ढांचा' मानने से इनकार,
मथुरा जन्मभूमि विवाद पर हिंदू पक्ष को झटका
22 days ago
Written By: STATE DESK
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को "विवादित ढांचा" घोषित किए जाने की अपील की गई थी। जस्टिस राम मनोहर मिश्रा की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि वर्तमान तथ्यों और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर फिलहाल शाही ईदगाह को विवादित घोषित नहीं किया जा सकता। इस फैसले से जहां मुस्लिम पक्ष को राहत मिली है, वहीं हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।
क्या था मामला?
दरअसल, हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मांग की थी कि, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए। उनका दावा था कि मस्जिद का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया है।
महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने दावों के समर्थन में मुग़लकालीन इतिहासकारों द्वारा लिखी गई किताबों, अंग्रेज अफसर एफएस ग्राउस के दस्तावेजों और पुरातात्विक तथ्यों का हवाला दिया। उन्होंने कोर्ट में कहा कि शाही ईदगाह के पक्ष में न तो खसरा-खतौनी में कोई रिकॉर्ड है, न ही नगर निगम में रजिस्ट्रेशन और न ही टैक्स भुगतान का प्रमाण। उन्होंने यह भी बताया कि शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी पर बिजली चोरी की एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।
कोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गईं?
वहीं मामले की सुनवाई के दौरान महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी दलीलों में कहा कि, जिस प्रकार अयोध्या में बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया था, ठीक वैसे ही मथुरा मामले में भी शाही ईदगाह को विवादित माना जाना चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) यदि स्थल का सर्वेक्षण करे तो सच्चाई स्वतः स्पष्ट हो जाएगी। हिंदू पक्ष ने कहा कि केवल किसी स्थान पर कब्जा कर बैठने से वह जमीन किसी की नहीं हो जाती। विदेशी यात्रियों और ऐतिहासिक पुस्तकों में उस स्थल को भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बताया गया है, कहीं भी मस्जिद होने का उल्लेख नहीं मिलता। इन दलीलों का अन्य हिंदू पक्षकारों ने भी न्यायालय में समर्थन किया, लेकिन मुस्लिम पक्ष की ओर से इसका जोरदार विरोध किया गया।
कोर्ट ने क्या कहा?
बाते चलें कि, 23 मई को मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा जो तथ्य और साक्ष्य पेश किए गए हैं, वे फिलहाल ईदगाह को विवादित घोषित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
आगे क्या?
वहीं बताया जा रहा है कि, हिंदू पक्ष अब इस मामले में अगली कानूनी रणनीति पर विचार कर रहा है। संभव है कि वे भारतीय पुरातत्व विभाग से साइट सर्वेक्षण की मांग करें या सुप्रीम कोर्ट की शरण लें।