ट्वीट पर बवाल, विरोध-प्रदर्शन और अब 76 दिन की कोर्ट से शरण,
कौन हैं माद्री काकोटी और क्या था विवाद ? सिलेसेवर पढ़िए पूरा मामला...
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
लखनऊ विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर माद्री काकोटी एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के कारण उपजे विवाद के मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बाद एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। दरअसल जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ऐसा ट्वीट किया, जिसने राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा दी। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, विरोध-प्रदर्शन हुए और अंततः अब उन्हें कोर्ट से 76 दिन की अंतरिम अग्रिम जमानत मिली है। आखिर किस तरह से ये पूरा विवाद बढ़ा और मामला यहां तक पहुँचा। आइए जानते हैं सिलसिलेवार तरीके से…

8 मई 2025: पहलगाम हमला और माद्री का ट्वीट
गत 8 मई को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा एक कायराना हमला किया गया, जिसमें 27 लोग मारे गए। इस दौरान आतंकियों द्वारा नाम (धर्म) पूछकर लोगों की हत्या करने की बात सामने आई। जिसके बाद इसी दिन माद्री काकोटी ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा: “धर्म पूछकर गोली मारना आतंकवाद है और धर्म पूछकर लंच करना, नौकरी से निकालना... असली आतंकी वह है जो धर्म के नाम पर यह सब कर रहा है।” माद्री ने अपने पोस्ट के साथ एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे भेदभाव पर चिंता जताई थी। उनका कहना था कि आतंकवाद की असली परिभाषा समझनी होगी, और किसी भी हिंसक कृत्य को धर्म के आधार पर जस्टिफाई नहीं किया जा सकता।
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9 मई 2025: सोशल मीडिया पर बवाल
जिसके बाद 9 मई को माद्री के ट्वीट को लेकर ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर बहस शुरू हो गई। एक पक्ष ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया, जबकि दूसरे पक्ष ने इसे राष्ट्रविरोधी और भड़काऊ कहा। धीरे-धीरे छात्र संगठन और राजनीतिक कार्यकर्ता भी इस बहस में कूद पड़े। इसी दौरान उनका यह वीडियो पाकिस्तान की एक PTI प्रमोशन नाम के X हैंडल से रीपोस्ट किया गया और यह वीडियो वायरल हो गया। जिसके बाद इस बयान को देश की एकता और अखंडता के खिलाफ माना जाने लगा।
10 मई 2025: एफआईआर दर्ज
जिसके बाद गत 10 मई को भारतीय जनता युवा मोर्चा और ABVP के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के हसनगंज थाने में माद्री काकोटी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। एफआईआर में IPC की धारा 153A (धार्मिक विद्वेष फैलाना), 295A (धार्मिक भावनाओं का अपमान), 505(2) (सार्वजनिक अशांति के लिए बयान) और 124A (देशद्रोह) जैसी गंभीर धाराएं लगाई गईं। इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि उनका यह ट्वीट युवाओं को भड़काने वाला है और देश विरोधी भावना को बढ़ावा देने वाला है।
12 मई 2025: विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई
जिसके बाद गत 12 मई को लखनऊ विश्वविद्यालय ने माद्री को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे स्पष्टीकरण मांगा कि क्यों उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई न की जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले को गंभीर बताते हुए आगे की जांच के संकेत दिए। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के किसी शिक्षक की ऐसी टिप्पणी गंभीर है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
20 मई 2025: निचली अदालत से अग्रिम जमानत खारिज
जिसके बाद गत 20 मई को माद्री काकोटी ने लखनऊ की जिला अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। अदालत का मानना था कि आरोप गंभीर हैं और पुलिस को जांच के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए। जिसके बाद माद्री की मुश्किलें और बढ़ गईं और उन्होंने आगे की कार्रवाई की तरफ रुख किया।
7 जून 2025: हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
जिसके उपरांत लखनऊ की अदालत से राहत न मिलने के बाद माद्री ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उन्होंने किसी धर्म या समुदाय का अपमान नहीं किया है, बल्कि सामाजिक चिंताओं को उजागर किया है। जिसके बाद उनकी याचिका पर सुनवाई आगे बढ़ी।
9 जून 2025: कोर्ट से 76 दिन की अग्रिम जमानत
जिसके बाद तमाम कोशिशों के बाद इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने माद्री काकोटी को 76 दिन की अंतरिम अग्रिम जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि इस अवधि में उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, लेकिन जांच में सहयोग देना होगा। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 अगस्त 2025 तय की गई है। मामले में अग्रिम जमानत से माद्री को थोड़ी राहत तो मिली है पर सुनवाई अभी भी जारी है।
कौन हैं माद्री काकोटी?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. माद्री काकोटी लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वह पिछले आठ वर्षों से शिक्षण और शोध से जुड़ी हैं। समाज में व्याप्त असमानताओं, धार्मिक विविधता, महिला अधिकार और सामाजिक न्याय जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। डॉ. काकोटी ने समाजशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है और कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भाग लिया है। उनके लेख जेंडर स्टडीज़, जाति व्यवस्था, धार्मिक सहिष्णुता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहे हैं।
डॉ. मेडुसा के नाम से फेमस हैं काकोटी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ. माद्री काकोटी सोशल मीडिया पर डॉ. मेडुसा के नाम से फेमस हैं। उन्हें अक्सर अपने वीडियो में सरकार की आलोचना करते देखा गया है। डॉ. काकोटी असम की रहने वाली हैं।

प्रोफेसर के राजनीतिक कनेक्शन पर संशय
सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद के बाद प्रोफेसर के राजनीतिक कनेक्शन को लेकर भी खूब चर्चाएं हुईं। इस दौरान उन्हें वामपंथ का समर्थक बताया गया। वहीं, उनके सपा बैकग्राउंड को लेकर भी चर्चाएं तेज रहीं। इस दौरान सोशल मीडिया पर प्रोफेसर डॉ. माद्री काकोटी की कई हस्तियों के साथ तस्वीरें वायरल हो रही थीं। इनमें सपा के अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद, पत्रकार अजीत अंजुम और अभिनेत्री स्वरा भास्कर भी शामिल हैं। जिसके बाद उन्हें एक विशेष मानसिकता का समर्थक बताया जाने लगा।
किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध न होने का दावा
मामले में प्रोफेसर के राजनीतिक कनेक्शन को लेकर उठ रहे सवालों के मद्देनजर, माद्री काकोटी के अधिवक्ता एसएम हैदर रिजवी ने पत्रकारों को बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से यह दलील दी गई थी कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है और न ही उन्होंने कभी किसी धरना-प्रदर्शन में भाग लिया है। पुलिस ने एफआईआर में अन्य धाराओं के साथ-साथ बीएनएस की धारा 152 भी लगा दी, जिसके तहत आजीवन कारावास तक की सजा है। उन्होंने अपनी पोस्ट में सिर्फ इतना ही कहा था कि धर्म पूछ के गोली मारना आतंकवाद है, धर्म पूछ कर लिंच करना और नौकरी से निकालना भी आतंकवाद है। इस पोस्ट से आतंकवाद को बढ़ावा देने की बात गलत है।