लखनऊ: नाबालिग भिखारियों को बचाने गई रेस्क्यू टीम पर हमला,
घंटों बाद भी नहीं दर्ज हो सकी FIR
1 months ago
Written By: संदीप शुक्ला
लखनऊ: राजधानी लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब भिक्षावृत्ति के खिलाफ चल रहे एक रेस्क्यू अभियान के दौरान झुग्गी बस्ती से निकले सैकड़ों लोगों ने टीम पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। घटना में एक संरक्षण अधिकारी और एक महिला कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए। आश्चर्य की बात यह रही कि घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद भी आशियाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।
रेस्क्यू के दौरान हिंसक हुए झुग्गीवासी
मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार शाम को वन स्टॉप सेंटर की टीम बंगला बाज़ार चौराहे पर रेस्क्यू अभियान चला रही थी, जहां चार बच्चों और दो महिलाओं को भिक्षावृत्ति से बचाया गया। रेस्क्यू की सूचना पास की झुग्गी बस्ती तक पहुंची, जिसके बाद करीब सैकड़ों की संख्या में लाठी-डंडों से लैस लोगों ने टीम पर हमला बोल दिया और रेस्क्यू किए गए लोगों को छुड़ाकर भाग निकले।
पुलिस और एसडीएम ने कर्मचारियों को छुड़ाया
बताया जा रहा है कि, हमले की सूचना पर पुलिस बल और एसडीएम की टीम मौके पर पहुंची और वन स्टॉप सेंटर की टीम को किसी तरह हमलावरों से छुड़ाया गया। संरक्षण अधिकारी सूर्यकांत चौरसिया और महिला कार्यकर्ता कंचन सुगमकर्ता इस हमले में घायल हुए हैं। जिला मुख्यालय से पहुंचे अधिकारी विकास सिंह और टीम प्रभारी अर्चना घायलों को अस्पताल ले गए और आशियाना कोतवाली में तहरीर दी।
थाने में नहीं दर्ज हुआ मुकदमा
वहीं, टीम का आरोप है कि कोतवाल छत्रपाल सिंह मौके पर मौजूद नहीं थे, जिसके चलते अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह घटना सरकारी कार्य में बाधा और जानलेवा हमले की श्रेणी में आती है, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
महिलाओं ने टीम पर लगाए छेड़छाड़ के आरोप
वहीं, घटना के बाद मामला तब और उलझ गया, जब बंजारा समुदाय की करीब 25 महिलाएं आशियाना कोतवाली पहुंचीं और वन स्टॉप सेंटर की टीम पर छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए अलग से तहरीर दी। दोनों पक्ष देर रात तक थाने में मौजूद रहे, लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। वहीं मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग अब जोर पकड़ रही है।