अयोध्या पहुंचा शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर, साथी को बचाने के दौरान सिक्किम में हुए थे शहीद,
अंतिम दर्शन को जुटी लोगों की भारी भीड़
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Lieutenant Shashank Tiwari: सिक्किम में शहीद हुए अयोध्या के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का शनिवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह जैसे ही उनका पार्थिव शरीर उनके गांव मझवा गद्दोपुर पहुंचा, पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया। तिरंगे में लिपटे शशांक को देखकर उनकी बहन भावुक होकर चीख पड़ी और आंसू बहाने लगीं। गांव वाले भी इस दृश्य को देखकर रो पड़े। शुक्रवार शाम शशांक का शव एक विशेष फ्लाइट से अयोध्या लाया गया था। उनकी मां हार्ट पेशेंट हैं इसलिए उन्हें बेटे की शहादत की जानकारी नहीं दी गई थी। शव को पहले मिलिट्री हॉस्पिटल में रखा गया था, जहां जवानों ने उन्हें सलामी दी।
डुबते साथी को बचाते हुए गई थी जान
बता दें कि शशांक तिवारी की पहली पोस्टिंग सिक्किम में थी। वे 2019 में एनडीए में सिलेक्ट हुए थे। उनका ऑपरेशनल गश्त के दौरान साथी को बचाने के लिए साहसिक कार्य करते हुए निधन हो गया। उनके साथ एक जवान नदी में गिर गया था, जो तेज बहाव में बहने लगा। शशांक ने साथी को बचाने के लिए खुद नदी में छलांग लगा दी। साथी को सुरक्षित बाहर निकाल तो लिया, लेकिन वे खुद बहाव में फंस गए और शहीद हो गए। शशांक घर के इकलौते बेटे थे और उनकी शादी भी नहीं हुई थी।
सीएम योगी ने दी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शशांक की शहादत को सलाम किया है। उन्होंने कहा कि उनकी स्मृति में अयोध्या में स्मारक बनाया जाएगा। परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। शशांक के पिता मर्चेंट नेवी में हैं और अमेरिका में तैनात हैं। उनकी मां दिल की मरीज हैं। वहीं उनकी बड़ी बहन दुबई से वापस आ गई हैं।
2019 में एनडीए में हुआ चयन
शशांक तिवारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अयोध्या के केजिंगल बेल स्कूल से पूरी की थी। उन्होंने 2019 में जेबीए एकेडमी से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। इसी वर्ष उनका एनडीए में चयन हुआ। उनका जीवन देश सेवा के लिए समर्पित था। उनकी इस बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा।
अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे हजारों लोगों
आज पूरा गांव शशांक की शहादत को याद कर रहा है। हजारों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए आए हैं। गांव में शोक की छाया है। यह घटना हर किसी के दिल को झकझोर गई है। शशांक तिवारी ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनका बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।