मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई आज,
मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका पर हो सकता है फैसला
22 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद एक बार फिर कानूनी चर्चा का विषय बन गया है। शुक्रवार दोपहर 2 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। इस केस में हिंदू पक्ष की ओर से कुल 18 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें सबसे अहम मांग शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की है। यह मांग एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने की है। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस आवेदन के विरोध में लिखित आपत्ति दाखिल की है।
राधारानी को पक्षकार बनाने की याचिका कोर्ट ने की खारिज
मामले की सुनवाई जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ कर रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राधारानी को पक्षकार बनाए जाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा कि राधारानी का श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सह-स्वामित्व का दावा केवल पौराणिक ग्रंथों पर आधारित है, कोई ठोस दस्तावेज या कानूनी साक्ष्य पेश नहीं किया गया है। दरअसल, राधारानी को पक्षकार बनाने की मांग उनके कथित भक्त ने की थी, जिन्होंने कहा कि राधारानी भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी हैं और दोनों की पूजा एक साथ होती है, इसलिए विवादित भूमि पर उनका अधिकार है। इसके समर्थन में स्कंद पुराण, श्रीमद्भागवत और ब्रह्मवैवर्त पुराण का हवाला दिया गया, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया।
शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की याचिका
महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च 2025 को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कोर्ट में कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के चिन्ह हैं और इतिहासकारों की किताबों में यह बात दर्ज है कि मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। उन्होंने इसे अयोध्या केस की तरह का मामला बताया और कहा कि वहां भी बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित कर कोर्ट ने आगे फैसला किया था।
शाही ईदगाह मस्जिद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर फिर उठा सवाल
बता दें कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाया था, जिसे पहले से मौजूद मंदिर को गिराकर बनाया गया बताया जाता है। 1815 में राजा पटनी मल ने यह ज़मीन ईस्ट इंडिया कंपनी से खरीदी थी और बाद में यह श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के अधीन आ गई। अब कोर्ट यह तय करेगा कि मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए या नहीं।