रिटायरमेंट से 3 दिन पहले KGMU के डॉ. आमोद सचान बर्खास्त: प्राइवेट प्रैक्टिस का आरोप,
बोले- मेरी प्रतिष्ठा के खिलाफ रची गई साजिश
13 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के फार्माकोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर आमोद कुमार सचान को रिटायरमेंट से महज तीन दिन पहले बर्खास्त कर दिया गया। उन पर प्राइवेट प्रैक्टिस, निजी संस्थाओं से आर्थिक लाभ उठाने और कई बोर्डों का हिस्सा होने जैसे गंभीर आरोप थे। साथ ही उनकी पत्नी ने भी नकली दवाओं के व्यापार में शामिल होने का आरोप दर्ज कराया था। कार्यपरिषद की बैठक में बहस के बाद शनिवार को यह फैसला लिया गया।
पहली बार किसी डॉक्टर पर हुई बर्खास्तगी
KGMU के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी डॉक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप में बर्खास्त किया गया। डॉ. सचान पर पिछले डेढ़ साल से जांच चल रही थी। उनके खिलाफ कई बार शिकायतें मिली थीं कि वे निजी अस्पतालों से लाभ कमा रहे हैं और निजी संस्थाओं में भी पदधारी हैं।
बैठक में रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति
दरअसल, शनिवार को कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद की अध्यक्षता में हुई कार्यपरिषद की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में रजिस्ट्रार अनुपस्थित रहीं। वहीं उनकी जगह डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. संदीप भट्टाचार्या मौजूद रहे। कार्यपरिषद को डॉ. सचान का जवाब संतोषजनक नहीं लगा, जिसके बाद बर्खास्तगी का फैसला किया गया।
पत्नी ने लगाया था नकली दवाओं का आरोप
बता दें कि डॉ. सचान की पत्नी ऋचा मिश्रा ने भी उनके खिलाफ गाजीपुर थाने में केस दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनके पति नकली दवाओं के धंधे में लिप्त हैं। ईडी और शासन स्तर पर भी इस मामले की जांच चली। रिटायरमेंट के महीने में जांच तेज हुई और कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
खुद को बताया गया साजिश का शिकार
डॉ. आमोद कुमार सचान ने इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि 23 वर्षों की सेवा को नजरअंदाज कर उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में कई नवाचार हुए जिनमें फार्माकोविजिलेंस सेंटर की स्थापना और डीएम फार्माकोलॉजी कोर्स की शुरुआत शामिल है। डॉ. सचान ने 1985 में शेखर अस्पताल की स्थापना की थी जो बाद में राजधानी का बड़ा निजी अस्पताल बना। इसी अस्पताल को लेकर हुए विवाद उनकी बर्खास्तगी की एक बड़ी वजह बने। KGMU प्रशासन ने वीडियो और शिकायतों के आधार पर जांच की, लेकिन इससे पहले ऐसे मामलों में किसी पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई थी।
कार्यपरिषद का फैसला प्रवक्ता ने दी पुष्टि
KGMU प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि बर्खास्तगी कोर्ट के आदेश और आंतरिक जांच के बाद की गई है। कार्यपरिषद की तीन बैठकों के बाद यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब किसी डॉक्टर पर इतनी कठोर कार्रवाई की गई है। इस फैसले से KGMU में प्राइवेट प्रैक्टिस के मामलों को लेकर एक नया संदेश गया है, लेकिन डॉक्टर सचान का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।