डिप्टी सीएम केशव मौर्य की डिग्री पर आज हाईकोर्ट का फैसला,
RTI कार्यकर्ता का दावा- फर्जी डिग्री से लड़ा चुनाव, लिया पेट्रोल पंप
19 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की डिग्री को लेकर बड़ा फैसला आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में आ सकता है। आरोप है कि मौर्य ने फर्जी डिग्री लगाकर पांच अलग-अलग चुनाव लड़े और इसी डिग्री के आधार पर कौशांबी जिले में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से पेट्रोल पंप भी हासिल किया। यह मामला RTI कार्यकर्ता और पूर्व भाजपा नेता दिवाकर नाथ त्रिपाठी की याचिका के बाद कोर्ट में पहुंचा। याचिका में मांग की गई है कि डिप्टी सीएम के खिलाफ FIR दर्ज हो।
पहले हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इस मामले में दिवाकर नाथ त्रिपाठी की पहली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो साल पहले यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि याचिका तथ्यहीन और आरोप कमजोर हैं। इसके बाद दिवाकर सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर फिर से याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया। फिर 24 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार की। 23 मई 2025 को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज 7 जुलाई को आ सकता है।
RTI एक्टिविस्ट का आरोप चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी
दिवाकर त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि साल 2014 में फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव के वक्त केशव प्रसाद मौर्य ने हलफनामे में खुद को BA पास बताया। उन्होंने लिखा कि साल 1997 में हिंदी साहित्य सम्मेलन से BA किया है। लेकिन इस संस्था से केवल प्रथमा, मध्यमा और उत्तमा परीक्षाएं होती हैं, जिन्हें कुछ राज्यों में हाईस्कूल, इंटर और ग्रेजुएट के समकक्ष माना जाता है, BA की मान्यता नहीं है।
डिग्री के साल में भी विरोधाभास
दिवाकर ने यह भी सवाल उठाया कि अगर उत्तमा को ही BA माना गया है, तो उसके वर्ष अलग-अलग क्यों दर्ज किए गए हैं। साल 2007 के हलफनामे में उत्तमा पास करने का साल 1998 लिखा गया है, जबकि 2012 और 2014 में यही वर्ष 1997 बताया गया। इससे यह साफ होता है कि जानबूझकर हलफनामों में गलत जानकारी दी गई।
शिकायतों पर नहीं हुई कार्रवाई
दिवाकर त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने यह मामला स्थानीय थाने, एसएसपी कार्यालय, यूपी सरकार और केंद्र सरकार के कई विभागों में उठाया, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरी में उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। अब सबकी निगाहें इलाहाबाद हाईकोर्ट के आज आने वाले फैसले पर टिकी हैं।