लखनऊ के KGMU में केन्या की युवती की सफल रीढ़ की सर्जरी,
97% कम खर्च में मिली राहत
20 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केन्या की 38 वर्षीय युवती बेल्डिना मोरा न्याकुंडी को गंभीर रीढ़ दर्द की समस्या से जूझना पड़ रहा था, लेकिन स्थानीय इलाज से राहत नहीं मिलने के कारण उन्होंने भारत आकर इलाज कराने का निर्णय लिया। KGMU के न्यूरोसर्जरी विभाग में युवती की एंडोस्कोपिक सर्जरी सफलतापूर्वक की गई। खास बात यह रही कि यह जटिल सर्जरी बेहद सस्ते दाम में की गई, जबकि केन्या में इसका खर्च करीब 10 लाख रुपये आता।
कई परेशानियों से जूझ रही थी मरीज
प्रो. क्षितिज श्रीवास्तव के मुताबिक, बेल्डिना इंटरवर्टेब्रल डिस्क हर्निएशन नाम की समस्या से परेशान थीं। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी की निचली डिस्क खिसक जाती है, जिससे पीठ में तेज दर्द, पैरों में झनझनाहट और चलने में तकलीफ होती है। केन्या में इस सर्जरी की लागत आठ से 10 लाख रुपये तक होती है। लेकिन KGMU में यही सर्जरी केवल 20 से 30 हजार रुपये में की गई। इस कारण मरीज ने भारत का रुख किया और लखनऊ पहुंचकर राहत पाई।
छोटे चीरे से बड़ी राहत
इस सर्जरी को एंडोस्कोपिक विधि से अंजाम दिया गया जिसमें मरीज की पीठ पर सिर्फ एक छोटा चीरा लगाया गया। उसी छोटे सुराख से एक विशेष कैमरा और उपकरण रीढ़ की हड्डी तक पहुंचाए गए। पारंपरिक सर्जरी की तुलना में इस प्रक्रिया में खून की मात्रा बहुत कम निकलती है और मरीज को ज्यादा दर्द भी नहीं होता। बेल्डिना सर्जरी के कुछ घंटों बाद ही चलने-फिरने लगीं और अगले दिन सामान्य दिनचर्या में वापस लौट आईं।
कम खर्च में उत्कृष्ट इलाज का उदाहरण
यह सर्जरी KGMU की मेडिकल सेवाओं की सुलभता और दक्षता का प्रतीक बन गई है। निजी अस्पतालों में जहां इसी सर्जरी पर 1.5 से 2 लाख रुपये खर्च होते, वहीं मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इसे मात्र 30 हजार में कर दिखाया। इससे मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
सर्जरी में शामिल डॉक्टरों की टीम
इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाने में प्रो. क्षितिज श्रीवास्तव, डॉ. विष्णु वर्धन, डॉ. साहिल, एनेस्थीसिया विभाग की एचओडी डॉ. मोनिका कोहली, डॉ. अहसान सिद्दीकी और डॉ. बृजेश प्रताप सिंह की अहम भूमिका रही। टीम की सूझबूझ और तकनीकी दक्षता ने एक विदेशी मरीज को जीवन की नई राह दी।