कांवड़ यात्रा के बीच नीला ड्रम फिर बना चर्चा का केंद्र,
मेरठ के हत्याकांड के बाद अब कांवड़ यात्रा में हुआ वायरल
14 days ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश के मेरठ में हत्याकांड के बाद सुर्खियों में आए नीले ड्रम ने एक बार फिर चर्चा बटोरी है, लेकिन इस बार कारण कुछ अलग है। सावन मास के शुरू होते ही कांवड़ यात्रा के दौरान गंगाजल भरकर लाए गए नीले ड्रम की खूब चर्चा हो रही है। हरिद्वार से दिल्ली के नरेला जा रहे शिवभक्त हिमांशु और उनके साथी जब नीले ड्रम में 121 लीटर गंगाजल लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे, तो लोगों की नजरें उन्हीं पर टिक गईं।
मेरठ कांड से कांवड़ तक नीला ड्रम
गौरतलब है कि मेरठ में हाल ही में एक महिला मुस्कान ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी थी और उसके शव को एक नीले ड्रम में भरकर ठिकाने लगाया था। इसके बाद सोशल मीडिया और न्यूज मीडिया में "नीला ड्रम" एक चर्चित प्रतीक बन गया। अब जब सावन मास की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा शुरू हुई है, तो वही नीला ड्रम फिर से चर्चा में है। इस बार किसी अपराध की वजह से नहीं, बल्कि शिवभक्तों की श्रद्धा और मजबूरी के कारण।
मजबूरी में लेना पड़ा नीला ड्रम
दिल्ली के नरेला निवासी शिवभक्त हिमांशु ने बताया कि वह हरिद्वार से जल लेकर लामपुर गांव जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम नीला ड्रम नहीं लेना चाहते थे क्योंकि इसकी चर्चा बहुत हो रही है, लेकिन दिल्ली में हमें पीले रंग का ड्रम नहीं मिला। मजबूरी में मन मारकर नीला ड्रम ही लेना पड़ा।” हिमांशु ने बताया कि उन्होंने एक ड्रम में 60 लीटर और कुल मिलाकर 121 लीटर गंगाजल भर रखा है। वे रोज़ाना लगभग 10 किलोमीटर की यात्रा तय करते हैं। पिछली बार जो टोकनी ली थी, वह बड़ी थी और ठीक से नहीं चली, इसलिए इस बार नीले ड्रम का सहारा लिया गया है।
मुजफ्फरनगर बना कांवड़ यात्रा का मुख्य मार्ग
सावन मास के पहले शुक्रवार से ही मुजफ्फरनगर में शिवभक्तों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। यही मार्ग हरिद्वार से गंगाजल उठाकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहुंचने वाले लाखों कांवड़ियों का मुख्य रास्ता बनता है। यहां रोज़ रंग-बिरंगी और अनोखी कांवड़ देखने को मिलती हैं, लेकिन इस बार "नीला ड्रम" सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है।
श्रद्धा भी, चर्चा भी
यह कहना गलत नहीं होगा कि कभी अपराध की पहचान बना नीला ड्रम अब श्रद्धा का पात्र बन गया है। यह ड्रम अब कांवड़ यात्रा की प्रतीकात्मक तस्वीरों में दिखने लगा है — एक तरफ अपराध से जुड़ी पुरानी यादें और दूसरी तरफ आस्था की नई राह। इस तरह, नीला ड्रम, जो एक समय पुलिस जांच का हिस्सा था, आज कांवड़ यात्रा में भोले के भक्तों का साथी बन गया है। शायद यही समाज की जटिलताओं और आस्था की ताकत का सबसे दिलचस्प रूप है।