कानपुर में नाबालिग दुल्हन का मामला, शादी के 11 दिन बाद जन्मा बच्चा,
हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
9 days ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 16 साल की लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की थी, लेकिन यह रिश्ता अब कानूनी पचड़े में फंस गया है। दरअसल, शादी के 11 दिन बाद ही लड़की ने बेटे को जन्म दिया, जिसके बाद पुलिस ने पति को गिरफ्तार कर लिया और लड़की को भी हिरासत में ले लिया। मामला अब हाईकोर्ट तक पहुंच गया, जहां अदालत ने नाबालिग दुल्हन और उसके बच्चे की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।
16 साल की उम्र में शादी, 11 दिन बाद बना मां
मामला कानपुर का है, जहां इस साल 3 जुलाई 2025 को लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की थी। लेकिन 14 जुलाई को उसने बेटे को जन्म दे दिया। हाई स्कूल की मार्कशीट के मुताबिक, लड़की का जन्म 5 अक्टूबर 2008 को हुआ था, यानी शादी के समय उसकी उम्र सिर्फ 16 साल 9 महीने थी। कानून के मुताबिक, यह नाबालिग मानी जाती है। इधर, लड़की के पिता ने पहले ही अपहरण का केस दर्ज कराया था। इसी शिकायत के आधार पर पुलिस ने 22 जुलाई को पति को गिरफ्तार किया और लड़की को बाल कल्याण समिति (CWC) के सामने पेश किया।
लड़की ने माता-पिता के साथ जाने से किया इनकार CWC के सामने पेशी के दौरान लड़की ने कहा कि वह माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती, बल्कि अपने पति के साथ ही रहना चाहती है। हालांकि, समिति ने यह कहते हुए लड़की और उसके बच्चे को कानपुर नगर स्थित राजकीय बालिका बाल गृह में रखने का आदेश दिया कि वह अभी नाबालिग है और उसकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। बाद में लड़की की सास ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर नाबालिग मां और उसके बच्चे को बाल गृह से रिहा करने की मांग की।
अदालत ने ‘सहमति से शादी’ की दलील ठुकराई सास की ओर से दलील दी गई कि लड़की ने अपनी सहमति से शादी की है, इसलिए यह विवाह वैध है। इसके समर्थन में 2011 के केपी थिम्मप्पा गौड़ा बनाम कर्नाटक राज्य मामले का हवाला भी दिया गया। लेकिन अदालत ने यह तर्क खारिज करते हुए कहा कि अब कानून में बदलाव हो चुका है। सहमति की उम्र अब 18 साल तय की गई है। इसलिए लड़की के साथ शादी और शारीरिक संबंध POCSO अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 63 के तहत अपराध माने जाएंगे।
कोर्ट ने कहा—नाबालिग के साथ रहना अपराध इलाहाबाद हाईकोर्ट की जस्टिस जे.जे. मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ रहना या शारीरिक संबंध बनाना कानूनन अपराध है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक लड़की बालिग नहीं हो जाती, वह अपने पति या माता-पिता के साथ नहीं रह सकती। लड़की और उसके बच्चे की सुरक्षा के लिए सबसे उचित स्थान राजकीय बालिका बाल गृह ही है।
स्वास्थ्य की निगरानी के लिए निर्देश कोर्ट ने कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) को आदेश दिया कि वे हर महीने कम से कम दो बार डॉक्टर भेजकर नाबालिग और उसके बच्चे की स्वास्थ्य जांच करवाएं। अदालत ने कहा कि यह मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि मानवता और सुरक्षा का भी है।
कोर्ट का फैसला अंत में अदालत ने सास की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब तक लड़की 18 साल की नहीं होती, उसे बाल गृह से रिहा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने साफ कहा कि बालिका और उसके नवजात की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कानूनी संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस फैसले से एक बार फिर यह संदेश गया है कि नाबालिग विवाह कानूनन अपराध है, चाहे वह लड़की की मर्जी से ही क्यों न हुआ हो।