कानपुर CMO ऑफिस में हाईवोल्टेज ड्रामा, स्टे ऑर्डर लेकर पहुंचे डॉ. नेमी,
पुलिस ने निकाला बाहर
16 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: कानपुर में गुरुवार को सीएमओ ऑफिस में करीब सात घंटे तक जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। निलंबित सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी और नए सीएमओ डॉ. उदयनाथ के बीच कुर्सी को लेकर खींचतान हो गई। पूरा मामला कोर्ट के स्टे ऑर्डर और शासनादेश के टकराव का था। दोपहर तक यह टकराव बढ़ता गया और आखिरकार पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में डॉ. नेमी को ऑफिस से बाहर करना पड़ा।
सुबह से शाम तक चला टकराव
गुरुवार सुबह करीब 9:30 बजे डॉ. हरिदत्त नेमी सीएमओ ऑफिस पहुंचे। वह सीधे अपने पुराने कक्ष में जाकर सीएमओ की कुर्सी पर बैठ गए। इस दौरान कर्मचारियों ने उनके पैर छुए। वहीं नए सीएमओ डॉ. उदयनाथ ने तुरंत एक आदेश जारी किया जिसमें सभी कर्मचारियों को निर्देश दिया गया कि निलंबित अधिकारी से किसी फाइल पर साइन न कराएं।
पुलिस और प्रशासन की समझाने के बाद हटे
करीब दोपहर 3:30 बजे सीएमओ ऑफिस पहुंचे डॉ. उदयनाथ के साथ एसीपी और एडीएम भी थे। अंदर मीटिंग के दौरान पुलिस फोर्स को ऑफिस के मुख्य द्वार पर तैनात कर दिया गया और गेट बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने डॉ. नेमी को समझाया कि भले ही कोर्ट ने निलंबन पर स्टे दिया है, लेकिन शासन से अभी कोई नया आदेश नहीं आया है। ऐसे में उन्हें कुर्सी खाली करनी होगी। थोड़ी देर की बातचीत के बाद डॉ. नेमी बाहर आए और फोन पर किसी से बात कर वहां से चले गए।
राजनीति और सम्मान समारोह में भी बने हिस्सा
इस पूरे घटनाक्रम के बीच दलित उत्थान समिति के कुछ सदस्य सीएमओ ऑफिस पहुंचे और डॉ. नेमी को सम्मानित करने की कोशिश की। इसने मामले को राजनीतिक रंग दे दिया। वहीं बाहर बड़ी संख्या में फरियादी और आम लोग भी ऑफिस के बाहर परेशान खड़े रहे।
कैसे शुरू हुआ विवाद
दरअसल, 19 जून को शासन ने डॉ. हरिदत्त नेमी को डीएम की संस्तुति पर सस्पेंड कर दिया था। उनकी जगह श्रावस्ती से आए डॉ. उदयनाथ को सीएमओ नियुक्त किया गया था। लेकिन डॉ. नेमी ने हाईकोर्ट से निलंबन पर स्टे ऑर्डर ले लिया और बुधवार को ऑफिस पहुंचकर कुर्सी पर बैठ गए। नए सीएमओ ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन डॉ. नेमी हटने को तैयार नहीं हुए। उन्होंने अपनी नेमप्लेट भी लगवा दी।
सरकार की चुप्पी और कानूनी पेच
सरकार की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों की मानें तो शासन इस पूरे प्रकरण में लीगल एक्सपर्ट की सलाह ले रहा है, जिसके बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।