यूपी की वरिष्ठ IAS अधिकारी अनामिका सिंह ने वीआरएस के लिए आवेदन किया;
आवेदन जांच में
6 days ago Written By: Aniket Prajapati
उत्तर प्रदेश कैडर की 2004 बैच की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनामिका सिंह ने निजी कारणों का हवाला देते हुए राज्य सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन दिया है। नियुक्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल उनका आवेदन परीक्षण की प्रक्रिया में है। राज्य स्तर से आवश्यक कार्यवाही पूरी होने के बाद यह प्रस्ताव केंद्र को अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अनामिका का नियत सेवानिवृत्ति मार्च 2038 में है, यानी अभी उनके पास करीब 13 साल की सेवा बाकी थी, इसके बावजूद उन्होंने पारिवारिक कारण बताकर वीआरएस मांगा है।
वर्तमान भूमिका और हाल की तैनाती
अभी अनामिका सिंह खाद्य आयुक्त के रूप में तैनात हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ समय पहले उन्होंने केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए भी राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी। सितंबर में उन्हें बरेली मंडल का मंडलायुक्त नियुक्त किया गया था, मगर बाद में यह तबादला निरस्त कर उन्हें खाद्य आयुक्त बना दिया गया। उनके वीआरएस आवेदन पर राज्य प्रशासनिक कार्रवाई पूरी होने के बाद केंद्र से अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
प्रशासनिक अनुभव और शिक्षा
अनामिका सिंह 2004 बैच की तेज-तर्रार व कुशल अधिकारी मानी जाती हैं। वे मूल रूप से फतेहपुर की निवासी हैं और 29 मार्च 1978 को जन्मी हैं। उन्होंने सोशल वर्क में स्नातक व पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। यूपीएससी 2003 पास कर वे आईएएस बनीं। प्रशासनिक तौर पर उन्होंने कौशांबी, हमीरपुर और बहराइच में जिला अधिकारी (डीएम) के तौर पर काम किया है। उन्हें ईमानदारी व कार्यकुशलता के लिए जाना जाता है।
केंद्र में अनुभव और पुनरागमन
अनामिका करीब 8 साल केंद्र में रह चुकी हैं। 2013 में पहली बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गईं और एचआरडी मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी व डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर रहीं। वे नीति आयोग में निदेशक भी रही हैं। जुलाई 2021 में वह उत्तर प्रदेश लौट आईं और उसके बाद विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
हालिया वीआरएस का संदर्भ
हाल के वर्षों में कई यूपी आईएएस अधिकारियों ने वीआरएस लिया है। इनमें 1995 बैच के अमोद कुमार, 1987 बैच की रेणुका कुमार, 1988 बैच की जुथिका पाटणकर तथा 2003 बैच के विकास गोथलवाल और रिग्जिन सैम्फिल शामिल हैं। अनामिका के आवेदन पर नियमानुसार राज्य-स्तरीय जांच के बाद ही अंतिम फैसला केंद्र द्वारा लिया जाएगा।