इटावा कथा विवाद: कथावाचकों पर भी दर्ज हुई एफआईआर,
जाति छुपाने और फर्जी दस्तावेज़ का आरोप
1 months ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले में कथावाचकों मुकुटमणि यादव और संत सिंह यादव के साथ कथित बदसलूकी और चोटी काटने का मामला अब और गहराता जा रहा है। घटना के बाद उपजा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक ओर चार ग्रामीणों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, वहीं अब पुलिस ने कथावाचकों के खिलाफ भी धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है।
जाति छुपाने और फर्जी दस्तावेज़ का आरोप
मामले में एक बड़ा मोड़ उस वक्त आया जब जांच के दौरान दोनों कथावाचकों के पास से फर्जी आधार कार्ड मिले। आधार कार्ड में उनके नाम के साथ ‘अग्निहोत्री’ लिखा हुआ था, जिससे यह संकेत मिला कि कथावाचकों ने खुद को ब्राह्मण जाति का बताकर कथा आयोजन में भाग लिया था। पुलिस ने बकेवर थाना क्षेत्र में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। उन पर जाति छुपाकर धार्मिक आयोजन में भाग लेने और फर्जी दस्तावेज़ बनवाने का आरोप है।
वायरल वीडियो ने मचाया बवाल
दरअसल घटना से जुड़ा एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें ग्रामीण कथावाचकों से उनकी जाति पूछते नजर आ रहे हैं। वीडियो में ग्रामीणों द्वारा यह कहते सुना जा सकता है कि, “महाराज जी, आप कौन जाति से हो?” कथावाचक पहले तो टालमटोल करते हैं, लेकिन फिर बड़ी मुश्किल से अपनी जाति बताते हैं। इस पर ग्रामीण भड़क उठते हैं और कहते हैं, “अगर आपने शुरुआत में सच बताया होता तो बात कुछ और होती। आपने झूठ बोलकर कथा कही।”
क्या है पूरा मामला
दरसल, यह पूरी घटना 21 जून को इटावा के दांदरपुर गांव में हुई थी, जहां दोनों कथावाचक श्रीमद्भागवत कथा के लिए पहुंचे थे। ग्रामीणों का आरोप है कि कथावाचकों ने ब्राह्मण जाति का झूठा परिचय देकर कथा मंच संभाला। जैसे ही उनकी वास्तविक जाति का पता चला, नाराज ग्रामीणों ने कथावाचकों की चोटी काट दी और सिर मुंडा दिया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसने पूरे मामले को तूल दे दिया।
महिला ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप
वहीं, मामले में एक और नया मोड़ तब आया जब एक महिला ने भी सामने आकर कथावाचकों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और इस पहलू की भी जांच शुरू कर दी गई है।
प्रशासन की कार्रवाई
जहां एक ओर चार ग्रामीणों को मारपीट और अपमानजनक कृत्य के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, वहीं कथावाचकों पर भी क़ानूनी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। प्रशासन फिलहाल पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का दावा कर रहा है, लेकिन यह मामला अब जाति, आस्था और पहचान की गहरी बहस का हिस्सा बन चुका है।