JNU और CSJMU ने तुर्की की इस्तांबुल यूनिवर्सिटी से समाप्त किया MOU,
जानें किस वजह से लिया ये बड़ा निर्णय
1 months ago
Written By: STATE DESK
CSJMU MoU Termination: आपरेशन सिंदूर के बाद कानपुर स्थित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) तथा जवाहर नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली ने गुरुवार को तुर्की के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ अपना MOU समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सुरक्षा कारणो से लिया गया है। इसको लेकर JNU ने कहा है कि हम देश के साथ खड़े हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से लिया फैसला
मिली जानकारी के मुताबिक, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा- यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से लिया गया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के समय तुर्की पाकिस्तान के पक्ष में बयान देने के साथ रक्षा सामग्री से भी सपोर्ट करता नजर आया था। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने इस्तांबुल विश्वविद्यालय के डाइरेक्टर को तत्काल समझौता समाप्त करने का पत्र लिखा है।
हम देश के साथ खड़े हैं
विरोध को लेकर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने कहा है कि हम देश के साथ खड़े हैं। उनके अनुसार, ये कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि तुर्किए पाकिस्तान को का समर्थन कर रहा है। जिसके बाद अब ऐसे हालातों में तुर्की पाकिस्तान की मदद करके चारों तरफ से फंसता नजर आया रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि
कुछ माह पहले ही विश्वविद्यालय ने शिक्षा और शोध के आदान-प्रदान के लिए तुर्की के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ समझौता किया था। कुलपति व एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (एआईयू) के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि शैक्षणिक गुणवत्ता हमारे लिए आवश्यक है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। प्रो. पाठक ने कहा कि तुर्की की ओर से लिया गया फैसला भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ सीधे या मौन रूप से जुड़ी संस्था के साथ समझौता राष्ट्रहित में नहीं है।
भारत ने चलाया था ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसमें पाकिस्तान में बने आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस कार्रवाई का जवाब देते हुए पाकिस्तान ने भी भारत पर लगातार ड्रोन, मिसाइल, फाइटर प्लेन मोर्टार व गोलियां बरसाई। इस संघर्ष में तुर्की, पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आया। तुर्की लगातार पाकिस्तान को हथियारों का सपोर्ट भी करता रहा।