स्वर्गवासी को मृत्युलोक का ट्रान्सफर आर्डर, दो साल पहले गुजर चुके कर्मचारी का तबादला,
आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय का गजब कारनामा
1 months ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश में तबादलों का दौर जारी है। यहां सूबे की योगी सरकार तेजी से अफसरों-कर्मचारियों की कुर्सियां इधर की उधर कर रही है, लेकिन इस बीच एक ऐसा ट्रांसफर ऑर्डर सामने आया है जिसे देखकर न सिर्फ आंखें फटी की फटी रह गईं, बल्कि सिस्टम की ये कार्रवाई लोगों के बीच ठहाकों की वजह बनी हुई है। दरअसल ये मामला एक लेखाकार के ट्रांसफर से जुड़ा है। जो कहीं और नहीं बल्कि सीधा बैंकुठ धाम से फतेहपुर के लिये कर दिया गया है। क्या है ये खास मामला आइए जानते हैं…
बैकुंठ से फतेहपुर हुआ ट्रांसफर
दरअसल आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय, उत्तर प्रदेश ने 15 जून 2025 को लेखाकार चारुल पांडेय का ट्रांसफर प्रयागराज से फतेहपुर कर दिया। लेकिन ज़रा ठहरिए, मामल बस इतना ही नहीं है, यहां ट्विस्ट यह है कि, चारुल पांडेय की मौत दो साल पहले ही हो चुकी है। अब सवाल ये नहीं कि ट्रांसफर हुआ, असली सवाल ये है, कि ट्रांसफर लेटर कौन लेकर जाएगा और जवाब कौन लाएगा? और उससे भी ज्यादा जरूरी ये है कि दो साल तक ये लेखाकार क्या सीधे बैंकुठ से ड्यूटी कर रहीं थीं ? और अगर हाँ तो इनकी सैलरी कौन ले रहा था ? क्योंकि कफ़न में तो जेब ही नहीं होती।
EHRMS पोर्टल पर दर्ज हुआ कारनामा
जानकारी के मुताबिक, यह हाई-लेवल कारनामा बाकायदा EHRMS पोर्टल पर दर्ज किया गया। निदेशक साधना श्रीवास्तव के हस्ताक्षर वाला ऑफिस ऑर्डर जारी हुआ, फिर रात 9 बजकर 22 मिनट पर व्हाट्सएप के ज़रिए बताया भी गया कि, "मैडम, जिनका ट्रांसफर किया है, उनका तो देहांत हो चुका है।" जिसके बाद अब इस पर विभाग की तरफ से घबराकर एक आदेश आया कि, “स्थानांतरण आदेश को शून्य समझा जाए।” अरे जनाब, दो साल तक विभाग को यह तक नहीं पता कि कर्मचारी जीवित है या नहीं? और जब सोशल मीडिया पर इस कारनामे की कहानी ने जोर पकड़ा तो सीधा इस कार्रवाई को शून्य बता दिया।
सोशल मीडिया पर यूजर्स की प्रतिक्रिया
जानकारी सामने आते ही ट्विटर से लेकर फेसबुक तक इस ट्रांसफर ने महाभारत मचा दी। इसपर एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, "अब डाक विभाग को स्वर्ग लोक तक सेवा शुरू करनी चाहिए। ट्रांसफर लेटर लेकर कौन जाएगा और क्या स्वर्ग में पर्सनल रिपोर्टिंग भी होगी?" तो वहीं दूसरे ने सरकार की कार्यशैली पर हमला बोलते हुए लिखा, “इसलिए कहते हैं इसे उल्टा-पुल्टा प्रदेश!”
वहीं इस ममाले पर वरिष्ठ पत्रकार नवल कांत सिन्हा ने भी कटाक्ष किया, उन्होंने लिखा कि, “चारुल पांडेय का ट्रांसफर स्वर्ग से फतेहपुर कर दिया गया है। अब विभाग सोच रहा है कि, सूचना कैसे दी जाए? कागज़ ले जाएं या आत्मा बुलाएं?”
दरअसल ये वाकया सिर्फ एक ‘मानव त्रुटि’ नहीं, बल्कि एक मृत प्राय व्यवस्था का साक्षात प्रमाण है। जहां जिंदा लोगों की फाइलें गायब हो जाती हैं और मर चुके कर्मचारियों के लिए ट्रांसफर लेटर उड़कर आ जाते हैं। और फिर पूछा जाता है, "तो अब करें क्या?"