लखनऊ DRM ऑफिस में CBI की छापेमारी, डिप्टी चीफ इंजीनियर समेत 4 गिरफ्तार,
मिशन गति शक्ति में खुलने लगीं भ्रष्टाचार की परतें
11 days ago
Written By: संदीप शुक्ला
लखनऊ के हजरतगंज स्थित नॉर्दर्न रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक (DRM) कार्यालय में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रिश्वतखोरी के गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। सोमवार देर शाम से शुरू हुई छापेमारी में डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा समेत चार लोगों को घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। CBI की इस कार्रवाई ने रेलवे की महत्वाकांक्षी "मिशन गति शक्ति" योजना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घूस के साथ चार गिरफ्तार
मिलीं जानकारी के मुताबिक, CBI को सूचना मिली थी कि मिशन गति शक्ति यूनिट में प्रोजेक्ट आवंटन और बिल पास कराने के एवज में भारी रिश्वत ली जा रही है। जांच में जानकारी की पुष्टि होते ही CBI की टीम ने डिप्टी चीफ इंजीनियर विवेक कुशवाहा समेत 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। छापेमारी के दौरान टेंजेंट इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी जिम्मी सिंह को गिरफ्तार किया गया, जो विवेक कुशवाहा को 3 लाख रुपए की रिश्वत देने आया था। पूछताछ में उसके बयान के आधार पर कुशवाहा को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जिनके पास से ₹2.5 लाख नकद बरामद हुए। वहीं कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए CBI ने कार्यालय सुपरिंटेंडेंट अंजुम निशा और सीनियर सेक्शन इंजीनियर अशोक रंजन को भी रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया। जिनके पास से कुल ₹80,000 नकद बरामद हुए।
मिशन गति शक्ति के नाम पर घोटाला
आपको बताते चलें कि, रेलवे की "मिशन गति शक्ति" योजना के अंतर्गत लखनऊ मंडल के 44 स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। इसमें स्टेशन परिसरों के नवीनीकरण, नई इमारतों, फुट ओवर ब्रिज, लिफ्ट और एस्केलेटर जैसे कार्य शामिल हैं। योजना का उद्देश्य प्रोजेक्ट्स को तेज़ी से पूरा करना है, लेकिन अब यह योजना भ्रष्टाचार का नया अड्डा बनती दिख रही है।
बिल पास कराने के बदले मांगी गई कमीशन
CBI की जांच में खुलासा हुआ है कि, सिविल इंजीनियरिंग सेक्शन में कार्यरत कार्यालय सहायिका (बाबू) अंजुम निशा ने एक ठेकेदार से उसका तीन करोड़ का बिल पास करने के बदले एक प्रतिशत कमीशन यानी ₹3 लाख की मांग की थी। रिश्वत देने के बजाय ठेकेदार ने इसकी शिकायत दिल्ली स्थित CBI मुख्यालय में दर्ज कराई। तय योजना के तहत CBI ने जाल बिछाया और अंजुम को रंगे हाथ पकड़ लिया।
व्यापक नेटवर्क की आशंका
जानकारी के मुताबिक CBI को मिशन गति शक्ति से जुड़ी कम से कम पांच शिकायतें पहले ही मिल चुकी थीं। इनमें कागजी काम दिखाकर भुगतान लेने, घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग और घूसखोरी के आरोप शामिल थे। एजेंसी को शक है कि इस भ्रष्टाचार में और भी बड़े अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। वहीं इस कार्रवाई के दौरान DRM ऑफिस में हड़कंप मच गया और कई कर्मचारी दफ्तर छोड़कर भाग खड़े हुए। CBI अब उनके नामों और पहचान की पुष्टि कर रही है। ऑफिस से जुड़े दस्तावेज, फाइलें और कंप्यूटर डेटा जब्त किए गए हैं।
किन-किन स्टेशनों में हुआ काम ?
आपको बताते चलें कि लखनऊ मंडल के 26 और मुरादाबाद मंडल के 22 रेलवे स्टेशनों का अब तक नवीनीकरण हो चुका है। इनमें से अधिकतर परियोजनाएं 5 से 10 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत की गई थीं। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि प्रस्तावित कार्य और वास्तविक निर्माण में भारी अंतर पाया गया है, जिसकी अलग से समीक्षा चल रही है।
आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव
फिलहाल CBI अब पूरे मामले की आर्थिक, तकनीकी और प्रशासनिक जांच कर रही है। गिरफ्तार कर्मचारियों से पूछताछ जारी है और बीते एक वर्ष में पास किए गए सभी बिलों की फाइलें खंगाली जा रही हैं। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में घूसखोरी के इस जाल में फंसे और चेहरों का खुलासा होगा। वहीं रेलवे जैसी राष्ट्रीय संस्था में इस तरह की घटनाएं ना केवल व्यवस्था की खामियों को उजागर करती हैं, बल्कि जनता के पैसों से चलने वाली योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती हैं। CBI की यह कार्रवाई सिस्टम की सफाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है – बशर्ते कार्रवाई आधे रास्ते में न रुक जाए।