इलाहाबाद हाईकोर्ट का सवाल – BNS लागू होने के बाद यूपी गैंगस्टर एक्ट की क्या जरूरत ?
योगी सरकार से मांगा जवाब
16 days ago
Written By: STATE DESK
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के लागू होने के बाद एक अहम कानूनी सवाल खड़ा किया है। कोर्ट ने कहा कि जब BNS की धारा 111 के तहत संगठित अपराधों पर नियंत्रण के लिए विस्तृत और स्पष्ट प्रावधान कर दिए गए हैं, तो उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट की अब प्रासंगिकता क्या रह गई है? न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने मिर्जापुर निवासी विजय सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। विजय सिंह के खिलाफ हलिया थाना क्षेत्र में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कोर्ट ने मांगा जवाब, गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक
कोर्ट ने इस सवाल को गंभीर और विचारणीय मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य प्रतिवादियों से तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही, जांच में सहयोग की शर्त पर याची विजय सिंह की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक भी लगा दी है।
याची की दलील – राजनीतिक द्वेष में दर्ज हुआ केस
याची के अधिवक्ता अजय मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि विजय सिंह जिन मामलों के आधार पर गैंगस्टर एक्ट के तहत नामजद किए गए हैं, उनमें वह पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं। यह मुकदमा राजनीतिक द्वेष और झूठे आरोपों पर आधारित है।
राज्य सरकार का पक्ष – संगठित अपराध में संलिप्त
वहीं, अपर शासकीय अधिवक्ता ने याची पर लगे आरोपों का बचाव करते हुए कहा कि विजय सिंह संगठित अपराध का हिस्सा है और उसने इस मामले में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई है।
BNS धारा 111 बनाम गैंगस्टर एक्ट
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि BNS 2023 की धारा 111 में अपहरण, डकैती, वसूली, साइबर अपराध, मानव तस्करी, सुपारी किलिंग, भूमि कब्जा और अवैध व्यापार जैसे अपराधों को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, अपराध में मदद करने वालों और सहयोगियों पर भी सख्त सजा का प्रावधान है।