बिकरू कांड में पुलिस की मुखबिरी के आरोपी थानाध्यक्ष को हाईकोर्ट से राहत,
विनय तिवारी को सशर्त जमानत मिली
1 months ago
Written By: STATE DESK
प्रयागराज: चर्चित बिकरू कांड में फंसे चौबेपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने उनकी दूसरी जमानत याचिका को सशर्त मंजूरी दे दी है। इससे पहले 21 सितंबर 2021 को उनकी पहली जमानत अर्जी खारिज की गई थी।
पूरे देश में फैलाई थे दहशत
बताते चलें कि, गत 8 जुलाई 2020 को कानपुर के बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों ने पुलिस की दबिश टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया था। इस भीषण हमले में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जिनमें एक डीएसपी, एक थानेदार और कई सिपाही शामिल थे। घटना के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया था और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए थे। विकास दुबे बाद में उज्जैन से पकड़ा गया और कानपुर लाते वक्त एनकाउंटर में मारा गया।
गंभीर आरोपों में जेल में बंद थे विनय तिवारी
मिली जानकारी के मुताबिक़, बिकरू कांड में विनय तिवारी पर आरोप था कि उन्होंने विकास दुबे को पुलिस दबिश की सूचना लीक की थी। इसी सूचना के आधार पर विकास दुबे ने पूरी योजना बनाकर पुलिस पर हमला किया। विनय तिवारी 8 जुलाई 2020 से जेल में बंद हैं।
ठोस सबूत न मिलने पर कोर्ट ने दी राहत
बताया जा रहा है कि, मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कोर्ट में दलील दी कि अभी तक विनय तिवारी के खिलाफ ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश किया गया, जिससे यह सिद्ध हो सके कि उन्होंने जानबूझकर सूचना लीक की। साथ ही यह भी बताया गया कि केस में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है लेकिन ट्रायल में दो साल से अधिक की देरी हो चुकी है। बता दें कि, मामले में कुल 102 गवाहों में से सिर्फ 13 गवाहों का परीक्षण हो सका है, जबकि इसी केस के कई अन्य आरोपी, जैसे गुड्डन त्रिवेदी, पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं। जिसके बाद इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर की है। वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब विनय तिवारी की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन यह मामला अभी भी कानूनी रूप से लंबित है। बिकरू कांड में अब भी कई सवाल अनुत्तरित हैं और ट्रायल की धीमी गति पर भी सवाल उठने लगे हैं।