धनंजय सिंह दोहरे हत्याकांड में बरी,
कोर्ट ने चारों आरोपियों को किया दोषमुक्त
23 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
जौनपुर से बड़ी खबर सामने आई है। बहुचर्चित बेलांव हत्याकांड में बृहस्पतिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत सभी चारों आरोपियों को बरी कर दिया है। ये फैसला जौनपुर जिले के केराकत क्षेत्र के चर्चित दोहरे हत्याकांड से जुड़ा है, जिसमें वर्ष 2010 में संजय निषाद और नंदलाल निषाद की हत्या कर दी गई थी।
क्या था मामला?
मिली जानकारी के मुताबिक, 1 अप्रैल 2010 को सुबह करीब 5:15 बजे बेलांव घाट बैरियर के पास टोल टैक्स को लेकर हुए विवाद में संजय निषाद और नंदलाल निषाद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड ने इलाके में सनसनी फैला दी थी। घटना के बाद पुलिस ने ठेकेदारी की रंजिश को इस हमले का कारण बताया और पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह और सुनीत सिंह को आरोपी बनाया।
अदालत में चली लंबी सुनवाई
वहीं, मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश, एमपी-एमएलए कोर्ट में चली, जहां चारों आरोपियों के बयान दर्ज किए गए। सभी आरोपियों ने अपने-अपने बयानों में खुद को निर्दोष बताया। धनंजय सिंह ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि उन्हें राजनीतिक विद्वेष के चलते झूठे मुकदमे में फंसाया गया है।
अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी लाल बहादुर पाल ने कुल 20 गवाहों को कोर्ट में पेश किया और उनका परीक्षण कराया। गवाहों के बयान के बाद कोर्ट ने सबूतों और गवाहों की गवाही के आधार पर फैसला सुनाया और चारों आरोपियों को बरी कर दिया।
आखिरकार मिला न्याय- धनंजय
वहीं, पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कहा कि, उन्हें न्यायपालिका से हमेशा न्याय मिलने का भरोसा था और आखिरकार 15 साल बाद उन्हें इंसाफ मिल गया। उन्होंने कहा कि, पूरा मामला पूरी तरह से राजनीतिक था और उन्हें जानबूझकर फंसाया गया था। धनंजय सिंह ने कहा, मैं उस समय सांसद था और एक बैठक में भाग लेने गया था, उसी मामले को राजनीतिक रंग देकर मुझे फंसाने की कोशिश की गई। मुझे पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और जिले में प्रवेश करने से भी रोका गया। यहां तक कि, जिले में धारा 144 तक लगा दी गई थी। आप सबको सब कुछ मालूम है। आज उसी मामले में फैसला आया है। यह मामला बहुत लंबा खिंचा, करीब 15 साल लगे, तब जाकर न्याय मिल पाया। उन्होंने आगे कहा, यह पूरी तरह से राजनीतिक रूप से प्रेरित मामला था। 2010 में जो घटना घटी, उसमें सीबीसीआईडी ने अपनी रिपोर्ट भी दाखिल की थी। फिर भी दोबारा जांच कराई गई। 2012 में चुनाव थे और कुछ लोग चाहते थे कि, हम जेल चले जाएं।