बांके बिहारी कॉरिडोर के विरोध में उतरे देवकीनंदन ठाकुर,
कहा- "मंदिर सरकार के अधीन नहीं होने चाहिए, बांके बिहारी गलियारा हो संस्कारों का प्रतीक"
1 months ago
Written By: STATE DESK
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में निर्माणाधीन कॉरिडोर को लेकर प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि देश के किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन नहीं होना चाहिए। तिरुपति बालाजी मंदिर की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जब वहां ऐसा विवाद हुआ, तो यह बात सिद्ध हो गई कि सरकार द्वारा संचालित मंदिर व्यवस्था हमेशा पारंपरिक और धार्मिक मूल्यों के अनुसार नहीं चलती।
सड़क पर नमाज पर सवाल
देवकीनंदन ठाकुर ने सवाल उठाते हुए कहा है कि, "जब नमाज सड़क पर पढ़वाने के लिए प्रशासन ट्रैफिक डायवर्ट कर देता है, तो मंदिरों में श्रद्धालुओं की व्यवस्था में वैसा ही सहयोग क्यों नहीं किया जाता?" उन्होंने कहा कि वृंदावन में हमारे आचार्य गण पैरों में पादुका नहीं पहनते थे। आज VIP की ऐसी लाइन लगी है वह यह चाहते हैं कि बिहारी जी के दरवाजे पर हमारी गाड़ी रुके। आप अगर भगवान के दर्शन करने जा रहे हो तो शास्त्रीय विधान है, आप अपने पैरों से जूते उतार कर गाड़ी छोड़कर पैदल जाना चाहिए। क्योंकि आप भगवान से मिलने जा रहे हो उनके दर्शन करने जा रहे हो।
"सनातन बोर्ड बने, संस्कृति बचे"
साथ ही देवकीनंदन ठाकुर ने यह मांग भी उठाई कि भारत में सभी मंदिरों के संचालन हेतु एक सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए, जो धार्मिक परंपराओं, व्यवस्थाओं और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि वृंदावन का गलियारा ईंट-पत्थर का नहीं, तुलसी और लताओं से सुसज्जित होना चाहिए ताकि दर्शन के पहले ही आस्था जाग जाए और वातावरण आध्यात्मिकता से भर जाए।
"यमुना निर्मल बहे, मांस-मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध हो"
इस दौरान उन्होंने वृंदावन में यमुना नदी की स्वच्छता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “यदि बांके बिहारी जी की नगरी का सच में विकास करना है, तो यमुना निर्मल बहनी चाहिए।” साथ ही मांग की कि वृंदावन की सभी एंट्री पॉइंट्स पर मांस-मदिरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए। देवकीनंदन ठाकुर ने अंत में सरकारों से अपील की कि यदि आप सच में सनातन संस्कृति और आस्था का सम्मान करते हैं, तो विकास भी उसी सोच के साथ हो। “अगर ऐसा विकास होगा तो सरकार भी बचेगी और हमारी संस्कृति भी।"