यूपी का ये गांव जहां तोता, भेड़िया, बकरी, और गिलहरी बने लोगों की जाति,
सरनेम में जोड़ते हैं जानवरों के नाम
1 months ago Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: जनपद बागपत का बामनौली गांव अपनी अनोखी पहचान के लिए जाना जाता है। जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की आबादी लगभग 14,000 है। यहां की सबसे खास बात यह है कि लोग घर का पता हवेलियों के नाम से पूछते हैं। यानी, बाहर से आने वाले आगंतुक किसी व्यक्ति का घर हवेली के नाम से ही ढूंढ लेते हैं। यही नहीं, इस गांव में 11 ऐतिहासिक मंदिर भी हैं और यहां के लोग पुराने समय से ही अपने नाम के आगे पशु-पक्षियों के नाम उपनाम के तौर पर लगाते आ रहे हैं। यही वजह है कि यह गांव आज भी चर्चा का केंद्र बना रहता है।
250 साल पुराना हवेलियों का इतिहास करीब ढाई सौ साल पहले बामनौली में बड़ी-बड़ी हवेलियों का निर्माण शुरू हुआ था। गांव में 50 से ज्यादा हवेलियां बनवाई गईं, जिनमें से 24 से अधिक आज भी पूर्वजों की कहानियों को दर्शाती हैं। हालांकि, कुछ लोग अपनी हवेलियां बेचकर शहरों में बस गए हैं, लेकिन अब भी करीब 30 परिवार उन्हीं पुरानी हवेलियों में रहकर अपने इतिहास को संजोए हुए हैं। गांव में आधुनिक मकान बढ़े हैं, फिर भी पुरानी हवेलियां इसकी असली शान बनी हुई हैं।
भट्ठियों से बनी ईंटों से खड़ी की गईं हवेलियां ग्रामीण बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने हवेलियों के निर्माण के लिए गांव में ही ईंट बनाने की भट्ठियां लगाई थीं। उन्हीं भट्ठियों से बनी ईंटों से हवेलियां तैयार हुईं। इन हवेलियों के पहले निर्माता रघुवीर सिंह, चंदन सिंह, गिरवर सिंह, रामप्रसाद सिंह, तोताराम, तुलसी राम, हरज्ञान सिंह, बालमुकंद बनिया, रामनारायण सिंह, भोपाल सिंह, राधेश्याम और ज्योति स्वरूप बताए जाते हैं। इनके बाद बाकी ग्रामीणों ने भी हवेलियां बनवाना शुरू किया।
11 ऐतिहासिक मंदिरों से जगमगाता गांव बामनौली में मंदिरों की भी खास पहचान है। गांव में नागेश्वर मंदिर, बाबा सुरजन दास मंदिर, ठाकुर द्वारा मंदिर, शिव मंदिर, हनुमान मंदिर, बाबा काली सिंह मंदिर, दिगंबर जैन मंदिर, श्वेताम्बर स्थानक, शिव मंदिर, गुरु रविदास मंदिर और वाल्मीकि मंदिर मौजूद हैं। ये सभी मंदिर गांव के चारों ओर बने हैं और यहां दूर-दराज से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं।
अनोखे उपनाम: तोता, गिलहरी, गीदड़… गांव का एक और दिलचस्प पहलू यहां के उपनाम हैं। गांव के विरेश का पूरा नाम विरेश भेड़िया है। उनके मुताबिक, यहां लोगों के नाम के साथ तोता, चिड़िया, गिलहरी, बकरी, बंदर और गीदड़ जैसे उपनाम पुराने समय से जुड़े हैं। उदाहरण के लिए, सोमपाल को गीदड़ के नाम से पुकारा जाता है। डाक कर्मी बिजेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां चिट्ठियां भी इन्हीं उपनामों के साथ पहुंचती हैं। यहां तक कि गन्ने की पर्चियों पर भी लोगों के उपनाम लिखे जाते हैं।