आजमगढ़ के बम्हौर गांव में ‘मकान बिकाऊ’ पोस्टर,
एक वर्ग का पलायन शुरू, प्रशासन ने किया इनकार
1 months ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के बम्हौर गांव का "छोटा पूरा" मोहल्ला इन दिनों सुर्खियों में है। यहां एक वर्ग विशेष के लोगों ने अपने घरों पर "मकान बिकाऊ है" के पोस्टर चिपका दिए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें गांव में आए दिन मारपीट, गाली-गलौज और धार्मिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, जिससे वे डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। इस वजह से अब वे गांव से पलायन की तैयारी में हैं।
40 परिवार पलायन को मजबूर
ग्रामीणों के अनुसार, बम्हौर गांव में एक वर्ग के करीब 40 परिवार रहते हैं। तीन जून को एक बारात समारोह के दौरान गांव में दो समुदायों के बीच विवाद हो गया था। आरोप है कि बारात के दौरान कुछ युवकों ने महिलाओं और लड़कियों के डांस का वीडियो बनाना शुरू कर दिया, और छेड़छाड़ की कोशिश की। इसका विरोध करने पर दोनों पक्षों में मारपीट हो गई, जिसमें आठ लोग घायल हुए। सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
शिकायतों के बावजूद ग्रामीणों में असुरक्षा
वहीं घटना के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और आधा दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन पीड़ित वर्ग का आरोप है कि, पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए। ग्रामीणों ने बताया कि, पूजा-पाठ, शादी-ब्याह के मौके पर उन्हें डीजे बजाने या बाजा बजाने से रोका जाता है। लड़कियों की हरकतों पर निगरानी रखी जाती है, वीडियो बनाए जाते हैं और छेड़खानी होती है। ग्रामीणों ने प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए कहा कि, अब उनके पास अपने घर छोड़कर जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा।
प्रशासन ने पलायन की खबरों को नकारा
मामले में एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर चल रही "पलायन" की खबरें भ्रामक हैं। उन्होंने बताया कि, गांव में सभी लोग अपने-अपने घरों में सुरक्षित रूप से रह रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गांव में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात है। उन्होंने कहा कि 3 जून की घटना को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है और संबंधित सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की जा रही है।
गांव में अब भी कायम है तनाव
हालांकि प्रशासन ने स्थिति को शांत बताया है, लेकिन ग्रामीणों का दावा है कि तनाव अभी भी बना हुआ है। कई लोगों को धमकियां मिल रही हैं और वे मानसिक रूप से असहज महसूस कर रहे हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि लोग अपने ही गांव में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे।