स्कूल मर्जर नीति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की मुहर,
सीतापुर के बच्चों की याचिका खारिज — पीलीभीत से भी मामला पहुंचा कोर्ट
19 days ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश में सरकार की स्कूल मर्जर नीति को लेकर चल रहे विवादों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सीतापुर के 51 छात्रों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए मर्जर नीति को हरी झंडी दे दी है।
बच्चों ने दायर की थी याचिका
दरअसल यह याचिका स्कूलों के विलय के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें छात्रों का कहना था कि इससे शिक्षा के अधिकार का हनन हो रहा है। लेकिन कोर्ट ने सरकार के पक्ष को वाजिब और वैधानिक मानते हुए मर्जर नीति को सही ठहराया। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया और स्पष्ट किया कि कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को समीप के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित करने का निर्णय तर्कसंगत और व्यावहारिक है। गौरतलब है कि 16 जून 2025 को सरकार द्वारा स्कूलों के मर्जर का आदेश जारी किया गया था, जिसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश के लगभग 5000 प्राथमिक स्कूलों को नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट विद्यालयों में मर्ज किया जाना है।
पीलीभीत के ग्रामीणों ने भी दी चुनौती
वहीं, इस बीच पीलीभीत जिले के बिलसंडा ब्लॉक के ग्राम चांदपुर के निवासी सुभाष, यशपाल यादव और अत्येंद्र कुमार ने भी मर्जर नीति को लेकर हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दायर की है। इस याचिका में राज्य सरकार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, शिक्षा निदेशक (बेसिक), बेसिक शिक्षा बोर्ड प्रयागराज, क्षेत्रीय सहायक शिक्षा निदेशक, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों को प्रतिवादी बनाया गया है।
ग्रामीण इलाकों में प्रभावित होगी शिक्षा
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि, स्कूल मर्जर का यह निर्णय ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की पहुंच को प्रभावित करेगा और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है। उनकी याचिका पर अगले 2-3 दिनों में सुनवाई हो सकती है। वहीं, सरकार का तर्क है कि, यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। अब जबकि हाईकोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी है, आगे की याचिकाओं पर होने वाली सुनवाई से यह तय होगा कि नीति को लेकर जन असंतोष कितना व्यापक असर डाल पाएगा।