इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, मुकदमों में दखल नहीं दे पाएगी पुलिस,
वकीलों से सीधा संपर्क भी अब बैन
8 days ago
Written By: Ashwani Tiwari
Allahabad High Court: उत्तर प्रदेश में पुलिस के बेवजह हस्तक्षेप को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश पारित किया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना पुलिस उन स्थानों पर नहीं जाएगी, जो किसी अदालती मुकदमे के अधीन हैं। इसके साथ ही, पुलिस अब अदालत में लंबित मामलों के पक्षकारों के वकीलों से भी सीधे संपर्क नहीं कर सकेगी। अदालत के इस आदेश को जनहित याचिका के दौरान गंभीर आरोपों के आधार पर पारित किया गया है। सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए जल्द ही पूरे राज्य के लिए दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) जारी करने की बात कही है।
जौनपुर के मामले से शुरू हुई सुनवाई
यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें याचिकाकर्ता गौरी शंकर सरोज ने आरोप लगाया था कि उन्होंने गांव सभा की जमीन पर अतिक्रमण का मामला उठाया तो स्थानीय पुलिस ने उन्हें याचिका वापस लेने के लिए धमकाया। इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा, जो पूरी तरह गलत था। जस्टिस जेजे मुनीर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को उनके कानूनी कर्तव्यों से रोकना या डराना किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दो पुलिस अधिकारी सस्पेंड आदेश जारी
इसके बाद पुलिस अधीक्षक, जौनपुर ने हाईकोर्ट को बताया कि जांच लंबित रहने तक दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, बाकी संबंधित पुलिसकर्मियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। एसपी ने 12 जुलाई को एक ज़िला-व्यापी आदेश भी जारी किया, जिसमें सभी थानों को निर्देशित किया गया कि वे अदालती इजाजत के बिना किसी केस से संबंधित स्थान पर न जाएं और कोर्ट में लंबित केसों में पक्षकारों के वकीलों से सीधे संपर्क न करें।
10 दिन में राज्य सरकार देगी विस्तृत गाइडलाइन
सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि सरकार पूरे राज्य के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन बनाएगी ताकि भविष्य में ऐसे मामले न हों। उन्होंने गाइडलाइन तैयार करने के लिए कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई, 2025 को होगी।