अपहरण मामलों में पुलिस की लापरवाही पर हाई कोर्ट सख्त,
कहा- जवाबदेही तय हो
1 months ago
Written By: NEWS DESK
उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते अपहरण के मामलों को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से राज्य में अपहरण की घटनाएं बढ़ रही हैं, उस पर रोक लगाने के बजाय पुलिस केवल बड़ी छवि बनाने में व्यस्त है, जबकि शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
अपहरण में हत्या हो तो पुलिस की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए
हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर अपहरण के किसी मामले में अपहरणकर्ता की हत्या हो जाती है, तो सबसे पहले पुलिस को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए और उसी के अधिकार क्षेत्र में केस दर्ज होना चाहिए। यह गंभीर टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई के दौरान की गई।
वाराणसी केस बना आधार
यह टिप्पणी वाराणसी निवासी नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई है। याचिकाकर्ता के अनुसार, उसका भाई 31 मार्च 2025 से लापता है और आशंका जताई जा रही है कि उसका अपहरण हुआ है। परिजनों ने 3 अप्रैल 2025 को थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अब तक पुलिस किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। जिसके बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि— "यह कोई पहला मामला नहीं है जब लापता व्यक्ति का पता नहीं चला। हमने देखा है कि पुलिस अक्सर शिकायतों को दर्ज करने और उन पर कार्रवाई करने से बचती है।"
पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही क्यों नहीं तय होती?
इस दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया है कि, अपहरण जैसे गंभीर मामलों में भी पुलिस अधिकारियों की कोई व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय नहीं होती, जिस कारण लापरवाही बढ़ती जा रही है और कई बार अपहरण किए गए व्यक्ति की हत्या तक हो जाती है।
पुलिस आयुक्त से हलफनामा तलब
कोर्ट ने इस पूरे मामले पर वाराणसी के पुलिस आयुक्त से हलफनामा तलब किया है और अगली सुनवाई की तारीख 12 जून 2025 निर्धारित की है। अदालत ने संकेत दिया है कि यदि पुलिस की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो आगे कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।