नाबालिग पत्नी के संबंध अब नहीं माने जाएंगे रेप,
जानिए क्यों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पलटा 18 साल पुराना फैसला
11 days ago Written By: Ashwani Tiwari
High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2005 के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बलात्कार नहीं माना जाएगा, खासकर तब जब यह विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत हुआ हो। कोर्ट ने आईपीसी की धाराओं 363, 366 और 376 के तहत सुनाई गई सात साल की सजा को रद्द कर दिया। यह फैसला उस समय लागू कानून और परिस्थितियों के आधार पर लिया गया। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाह के बाद होने वाले यौन संबंध उस समय अपराध नहीं थे।
क्या था मामला इस मामले में आरोपी ने कथित रूप से 16 वर्ष की नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाने और उसके साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए आईपीसी की धाराओं 363, 366, 376 के तहत सात साल की जेल की सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने क्यों रद्द की सजा जस्टिस अनिल कुमार की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि मामले की परिस्थितियों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अभियोजन पक्ष ने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया कि आरोपी ने लड़की को बहकाया या जबरदस्ती लिया। कोर्ट ने यह भी देखा कि लड़की ने स्वयं स्वीकार किया कि वह स्वेच्छा से गई थी और आरोपी से शादी कर ली थी।
लड़की की सहमति पर जोर सुनवाई में पीड़िता ने कहा कि उसने खुद घर से जाने का निर्णय लिया और आरोपी के साथ शादी की। दोनों एक महीने तक भोपाल में एक साथ रहे। हाई कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया कि उस समय लागू कानून के अनुसार यह कृत्य दंडनीय नहीं था।
फैसले का महत्व यह फैसला नाबालिग विवाह और मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतर्गत यौन संबंधों को लेकर कानूनी दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उस समय के कानून और परिस्थितियों के आधार पर आरोपी पर कोई अपराध सिद्ध नहीं हुआ।