गैंगरेप और लूट के मामले में हाईकोर्ट सख्त: कहा– पहले केस दर्ज कराना, फिर समझौता करना बन गया है ट्रेंड,
कानून न्याय का माध्यम है, साजिश का नहीं
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगरेप और लूट जैसे गंभीर आरोपों में चल रही आपराधिक कार्यवाही को उस समय रद्द कर दिया जब पता चला कि पीड़िता और आरोपी पक्ष के बीच आपसी समझौता हो गया है। यह मामला बदायूं जिले से जुड़ा है, जिसमें मुनीश और दो अन्य आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को चुनौती दी थी।
कानून साजिश का हथियार नहीं है- कोर्ट
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की एकल पीठ में हुई। उन्होंने इस केस में कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि अब यह आम प्रवृत्ति बन चुकी है कि लोग किसी को सबक सिखाने के लिए आपराधिक मुकदमे दर्ज करवा देते हैं और बाद में आपसी समझौता कर लेते हैं। कोर्ट ने कहा कि कानून न्याय दिलाने का माध्यम है, न कि साजिशों का हथियार। अगर इस तरह के मामले अदालत में आते रहेंगे तो न्याय व्यवस्था पर जनता का विश्वास कमजोर हो जाएगा।
गंभीर अपराधों में सुलह को नजरअंदाज नहीं कर सकती कोर्ट
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि गंभीर अपराधों में इस प्रकार की आपसी सुलह को अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति ने टिप्पणी की कि कोर्ट केवल मूकदर्शक बनकर ऐसे मामलों को नहीं देख सकती, खासकर जब अपराध गैंगरेप और लूट जैसे गंभीर और समाज को प्रभावित करने वाले हों। हालांकि, दोनों पक्षों के समझौते को स्वीकार करते हुए अदालत ने लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द तो कर दिया, लेकिन साथ ही पीड़ित युवती और तीनों आरोपियों पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने साफ किया कि इस तरह की लापरवाही न्याय प्रणाली का दुरुपयोग है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।