हाईकोर्ट बार चुनाव 2025: मतदाता सूची पर विवाद गहराया,
अधिवक्ताओं का फूटा आक्रोश
1 months ago
Written By: NEWS DESK
प्रयागराज। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वार्षिक चुनाव को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार को जारी की गई अनंतिम मतदाता सूची में हजारों अधिवक्ताओं के नाम न होने पर बुधवार को वकीलों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। बार कार्यालय में हंगामा हुआ, ताला जड़ा गया और चुनाव अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई।
अनंतिम सूची से हजारों नाम गायब, अधिवक्ताओं में उबाल
चुनाव समिति द्वारा जारी की गई अनंतिम मतदाता सूची में कई ऐसे अधिवक्ताओं के नाम नहीं हैं, जो पहले भी मतदाता रह चुके हैं और जिनका मासिक शुल्क व डिक्लेरेशन भी अपडेट है। हजारों नामों की गैरमौजूदगी से अधिवक्ता समुदाय में भारी नाराजगी फैल गई है। नाराज वकीलों ने बुधवार को बार कार्यालय का घेराव किया और कर्मचारियों को बाहर निकालकर ऑफिस में ताला जड़ दिया।
चुनाव अधिकारियों के खिलाफ जमकर हुई नारेबाजी
प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं ने मुख्य चुनाव अधिकारी राधाकांत ओझा, चुनाव अधिकारी अनिल भूषण, वशिष्ठ तिवारी और महेंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ नारे लगाए। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची को बिना उचित प्रक्रिया के तैयार किया गया है और जानबूझकर योग्य अधिवक्ताओं को इससे बाहर रखा गया है। साथ ही मुख्य चुनाव अधिकारी से इस्तीफा देने की भी मांग की गई।
‘यह सूची मताधिकार का उल्लंघन है’ – अभिषेक तिवारी
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व प्रशासनिक सचिव अभिषेक तिवारी ने मतदाता सूची का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा, “यह सूची आम अधिवक्ता के अधिकारों का हनन है और उन्हें मतदान से वंचित करने की कोशिश है।” उन्होंने दावा किया कि यह सूची किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और जब तक सभी योग्य अधिवक्ताओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा।
चुनाव अधिकारियों का बहिष्कार करने की दी चेतावनी
अभिषेक तिवारी ने सख्त लहजे में कहा कि यदि इस बार भी योग्य अधिवक्ताओं को मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया, तो भविष्य में इन चुनाव अधिकारियों को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में कोई पद नहीं दिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि यह केवल एक चुनाव नहीं, अधिवक्ताओं के सम्मान और अधिकार की लड़ाई है।
15 मुकदमों की बाध्यता पर सवाल
अधिवक्ताओं ने चुनाव समिति द्वारा निकाले गए ऑब्जेक्शन फॉर्म की भी आलोचना की। उनका कहना है कि इसमें 15 मुकदमों की अनिवार्यता जोड़ दी गई है, जो कि पूर्णतः गलत है। अधिवक्ताओं का कहना है कि जो वकील पिछले चुनाव में मतदाता थे, उन्हें इस बार भी स्वतः सूची में रखा जाना चाहिए, चाहे उनके पास वर्तमान में 15 मुकदमे हों या नहीं।
मतदाताओं की संख्या में भारी गिरावट
पिछले चुनाव में जहां करीब 10,000 अधिवक्ता मतदाता सूची में दर्ज थे, वहीं इस बार यह संख्या घटकर मात्र 7,000 के आसपास रह गई है। अधिवक्ताओं ने इसे चुनाव समिति की मनमानी करार दिया और इसे न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया। वकीलों का कहना है कि यह एक सुनियोजित प्रयास है, जिससे चुनाव को प्रभावित किया जा सके।
आपत्ति दाखिल करने की तारीख बढ़ी
विवाद को देखते हुए चुनाव समिति ने आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि एक दिन बढ़ाकर अब 21 जून कर दी है। समिति ने वकीलों से अपील की है कि जिनके नाम सूची में नहीं हैं, वे निर्धारित फॉर्म भरकर जमा करें ताकि अंतिम सूची में सुधार किया जा सके।