आगरा को केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा, 111 करोड़ की लागत से बनेगा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र,
कृषि तकनीक और किसान कल्याण को मिलेगा नया आयाम
1 months ago
Written By: STATE DESK
उत्तर प्रदेश को केंद्र सरकार की ओर से एक बड़ी सौगात मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में आगरा जिले में अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस वार्ता में इस फैसले की जानकारी दी और कहा कि, यह निर्णय कृषि, अनुसंधान और किसान कल्याण के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
111 करोड़ की लागत, मुफ्त में दी गई 10 हेक्टेयर जमीन
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि, इस परियोजना के तहत आगरा में 111.5 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र की स्थापना की जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस परियोजना के लिए 10 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क हस्तांतरित की है। इस केंद्र का निर्माण और संचालन भारत सरकार, यूपी सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगी संगठनों के सहयोग से किया जाएगा।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक
प्रस्ताव के अनुसार, भारत दुनिया में आलू उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और उत्तर प्रदेश इस उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। आगरा में बनने वाला यह केंद्र अनुसंधान, बीज उत्पादन, कीट प्रबंधन, टिकाऊ खेती और किसानों को प्रशिक्षण देने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करेगा। इससे किसानों को वैश्विक सर्वोत्तम तकनीकों की जानकारी मिलेगी और उपज में वृद्धि के साथ उनकी आय भी बढ़ेगी।
सीएम योगी ने जताया आभार
इस अहम फैसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार का आभार जताते हुए कहा,"यह केंद्र खेती को तकनीक से, अन्न को अनुसंधान से और किसान को नवाचार से जोड़ने वाला साबित होगा। यह कृषि आधारित रोजगार और कृषक-समृद्धि को नई दिशा देगा।" उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए इसे किसान हित में क्रांतिकारी फैसला बताया।
आपातकाल की बरसी पर भी भावनात्मक क्षण
कैबिनेट बैठक में आपातकाल की 50वीं बरसी पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा में बलिदान देने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और दो मिनट का मौन भी रखा गया। उन्होंने कहा कि, यह निर्णय उन लोगों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने भारतीय संविधान की भावना की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।