बहराइच में सीएम योगी ने की महाराजा सुहेलदेव की 40 फीट प्रतिमा की स्थापना, कहा- अब नहीं होंगे जिन्ना के गुणगान,
विदेशी आक्रांताओं पर बोला सीधा हमला
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
Uttar Pradesh News: बहराइच के चित्तौरा झील पर मंगलवार को महाराजा सुहेलदेव विजयोत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिरकत की। उन्होंने यहां महाराजा सुहेलदेव की 40 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया। यह प्रतिमा उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी की निगरानी में प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री रामसुतार द्वारा तैयार की गई है, जिसका शिलान्यास पीएम मोदी ने 2021 में किया था। कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने मंच पर 5 बच्चों का अन्नप्राशन और नामकरण भी किया। सभी बच्चों को सुहेलदेव नाम दिया गया और उन्हें गोद में उठाकर तिलक कर खीर खिलाई गई।
महाराजा सुहेलदेव को अब मिल रहा है सही सम्मान: योगी
सीएम योगी ने मंच से अपने भाषण में कहा कि महाराजा सुहेलदेव को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वो उन्हें पहले नहीं मिला क्योंकि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक के चलते विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करते रहे। उन्होंने कहा कि सपा और कांग्रेस जैसे दल पहले गाजी मियां के विवाह उत्सवों की बात करते थे, लेकिन अब ऐसे आयोजनों पर रोक लग चुकी है और राष्ट्रनायकों को उनका वास्तविक सम्मान मिल रहा है। आगे मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि जब हम सरदार पटेल या महाराजा सुहेलदेव जैसे महापुरुषों की जयंती मनाते हैं, तब कुछ दल जिन्ना का गुणगान क्यों करते हैं? उन्होंने साफ कहा कि अब किसी भी विदेशी आक्रांता के नाम पर आयोजन नहीं होंगे।
11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे सुहेलदेव
इतिहासकारों और लोककथाओं के अनुसार, महाराजा सुहेलदेव 11वीं सदी में श्रावस्ती के सम्राट थे, जिन्होंने 1033 में बहराइच में सालार मसूद जैसे आक्रांता को युद्ध में हराया था। उनके बारे में ऐतिहासिक जानकारी कम है, लेकिन लोककथाओं और ग्रंथों जैसे मिरात-ए-मसूदी में उनका उल्लेख मिलता है।
लोकनायक के रूप में पूजे जातें हैं महाराजा सुहेलदेव
कुछ विद्वानों का मानना है कि वे भर जाति से थे और जैन धर्म अपना लिया था। माना जाता है कि उनके अधीन चौदह अन्य राजा थे। बहराइच का राजभर और पासी समाज उन्हें अपना वंशज मानता है। महाराजा सुहेलदेव को आज भी उत्तर भारत में लोकनायक के रूप में पूजा जाता है।