योग को लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी का बड़ा बयान,
मुस्लिम समुदाय से योग अपनाने की अपील, कहा – इसे धर्म से न जोड़ें
1 months ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले उत्तर प्रदेश की सियासी और सामाजिक फिज़ा में हलचल मचाने वाला एक अहम बयान सामने आया है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और मदरसों से योग को अपनाने की अपील की है। उनके इस बयान को योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ सामाजिक समरसता की दिशा में भी अहम माना जा रहा है।
"योग को धर्म से जोड़ना गलत"
मौलाना रजवी ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि, योग एक शरीरिक अभ्यास है, न कि धार्मिक कर्मकांड। उन्होंने कहा कि, “कुछ लोग योग को सनातन धर्म से जोड़ते हैं, जबकि यह एक शरीरिक व्यायाम है। उर्दू में इसे वर्जिश और अंग्रेज़ी में एक्सरसाइज़ कहा जाता है। इसे किसी धर्म से जोड़ना उचित नहीं।”
उन्होंने योग को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी बताया और कहा है कि, यह सभी धर्मों के लोगों द्वारा अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि, वे योग के प्रति फैलाई जा रही भ्रांतियों पर ध्यान न दें।
महिलाओं और मदरसों में योग की वकालत
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम महिलाओं के लिए योग को और भी आवश्यक बताया। उनका मानना है कि, महिलाएं अधिकतर घर के अंदर रहती हैं और उनकी शारीरिक गतिविधियां सीमित होती हैं, जिससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। उन्होंने सलाह दी कि मुस्लिम महिलाएं रोज़ाना कम से कम 20 मिनट योग करें।
इतना ही नहीं, उन्होंने मदरसों में भी योग को शामिल करने की वकालत की है। उनका कहना था कि, योग को पाठ्यक्रम का हिस्सा मानते हुए छात्रों को इसकी नियमित ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। उन्होंने इस पर ज़ोर दिया कि, योग भारतीय संस्कृति का हिस्सा है और इसका कोई विशेष धार्मिक संबंध नहीं है।
सूफी परंपरा से जोड़ा योग का संबंध
मौलाना रजवी ने योग की तुलना सूफी परंपरा के चिल्ला अभ्यास से भी की है, जिसमें संत अपने अनुयायियों को मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए 40 दिन का कठोर अभ्यास कराते हैं। उन्होंने कहा कि योग और सूफी परंपरा के मूल में समानता है और दोनों का उद्देश्य शरीर और आत्मा की शुद्धि है।
बयान या राजनीतिक संकेत
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के इस बयान से उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं, क्योंकि भाजपा लंबे समय से योग को लेकर जागरूकता फैला रही है। ऐसे में मुस्लिम समाज से आया यह समर्थन भाजपा के ‘सांस्कृतिक समावेशन’ एजेंडे को बल दे सकता है।
योग दिवस को मिलकर मनाने की अपील
अंत में मौलाना ने सभी समुदायों से अपील की है कि, वे योग को लेकर किसी भ्रम में न रहें और मिलजुल कर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाएं। उन्होंने कहा, "योग को अपनाना किसी भी समुदाय की आधुनिक सोच और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को दर्शाता है।"