UP Politics: अलीगढ़ से हरिगढ़ तक, नाम बदलने की मांग पर सियासत गरम,
BJP की रणनीति या PDA की काट
1 months ago
Written By: Ashwani Tiwari
UP Politics News: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में एक बड़ा राजनीतिक बयान सामने आया। इस मौके पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की मांग उठाई। मौर्य का कहना था कि अलीगढ़ का नाम बदलने में अब और देरी नहीं होनी चाहिए। यह बयान ऐसे समय आया है, जब राज्य में पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं।
हिंदू गौरव दिवस पर उठी मांग
कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को हिंदू गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। इसी दौरान मंच से डिप्टी सीएम मौर्य ने अलीगढ़ के नाम बदलने की बात कही। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या और प्रयागराज जैसे ऐतिहासिक बदलाव संभव हो सकते हैं, तो अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने में देरी क्यों। मौर्य के इस बयान का ज़िक्र आते ही कार्यक्रम में मौजूद लोग तालियों से उनका समर्थन करने लगे।
भाजपा की रणनीति और ओबीसी वोट बैंक
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह कदम भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। दरअसल, समाजवादी पार्टी ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश कर रही है। ऐसे में भाजपा राष्ट्रवाद और ऐतिहासिक प्रतीकों से जुड़े मुद्दों को उठाकर हिंदू वोट बैंक, खासकर ओबीसी मतदाताओं को अपने पक्ष में रखना चाहती है। कल्याण सिंह खुद ओबीसी समाज से थे और राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे, इसलिए उनकी पुण्यतिथि पर यह मांग उठना भाजपा के लिए सांकेतिक महत्व रखता है।
सोशल मीडिया पर गर्माया मुद्दा
अलीगढ़ का नाम बदलने की चर्चा सोशल मीडिया पर भी तेज़ी से फैल गई। कई लोग इसे हिंदुत्व की जीत मान रहे हैं, तो कुछ इसे इतिहास से छेड़छाड़ बता रहे हैं। यह मांग शाहजहांपुर के जलालाबाद का नाम बदले जाने के बाद सामने आई है।
ऐतिहासिक संदर्भ और संभावित असर
दरअसल, अलीगढ़ का नाम बदलने की चर्चा पुरानी है। भाजपा लंबे समय से मुगल काल से जुड़े नामों को हटाने की पक्षधर रही है। योगी सरकार ने पहले भी फैजाबाद को अयोध्या, इलाहाबाद को प्रयागराज और मुगलसराय स्टेशन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया था। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अलीगढ़ का नाम भी जल्द बदल सकता है। हालांकि, इस कदम से अल्पसंख्यक वर्ग में नाराज़गी बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।