ओबीसी आरक्षण में ‘कोटे के भीतर कोटा’ की मांग को लेकर CM से मिले राजभर,
कहा- सबसे पिछड़ों को नहीं मिल रहा हक
22 days ago
Written By: NEWS DESK
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार में सहयोगी दल सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के अध्यक्ष और पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर भी मौजूद रहे। ओपी राजभर ने मुख्यमंत्री के सामने ओबीसी और एससी आरक्षण में 'कोटे के भीतर कोटा' लागू करने की पुरानी मांग को दोहराया।
पंचायत चुनाव में पिछड़ों को नहीं मिल रहा वाजिब हक
राजभर ने मुख्यमंत्री को बताया कि, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अति पिछड़ी और सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा है कि, कुछ गिनी-चुनी ताकतवर जातियां आरक्षण के बड़े हिस्से का फायदा उठा रही हैं, जबकि वास्तविक रूप से पिछड़ी जातियां आज भी राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सामाजिक न्याय से वंचित हैं।
पुलिस भर्ती में उजागर हुई आरक्षण की असल खामी
ओपी राजभर ने उदाहरण देते हुए बताया कि, हाल ही में हुई पुलिस भर्ती में 27% ओबीसी आरक्षण का लाभ 19,000 से अधिक पदों पर केवल एक ही सशक्त जाति को मिला है। उन्होंने इसे आरक्षण प्रणाली की बड़ी खामी बताया और इसे सुधारने की जरूरत बताई।
पहले भी बनीं समितियां, लेकिन रिपोर्ट नहीं हुई लागू
राजभर ने याद दिलाया कि 2001 में राजनाथ सिंह सरकार के कार्यकाल में बनी हुकुम सिंह समिति और 2017 में बीजेपी सरकार द्वारा गठित राघवेन्द्र सिंह समिति ने ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण (उपवर्गीकरण) की सिफारिश की थी।
राघवेन्द्र समिति ने 27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने की सिफारिश की:
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पिछड़ा वर्ग – 7% (16 जातियां)
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अति पिछड़ा वर्ग – 9% (32 जातियां)
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सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग – 11% (57 जातियां)
लेकिन अब तक इस रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया।
नौ राज्यों में लागू, यूपी में क्यों नहीं?
ओपी राजभर ने कहा कि, देश के हरियाणा समेत नौ राज्यों में कोटे के भीतर कोटा की व्यवस्था लागू हो चुकी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय का हवाला भी दिया जिसमें आरक्षण में उपवर्गीकरण को वैध बताया गया है। राजभर ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलकर यह मांग दोहराएंगे कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उपवर्गीकृत आरक्षण व्यवस्था लागू की जाए, ताकि वंचित तबकों को प्रतिनिधित्व मिल सके।