EXCLUSIVE: मदरसे में अब साइंस-मैथ जरूरी! विरोध पर मंत्री दानिश आज़ाद बोले–
कुछ लोग नहीं चाहते आगे बढ़े गरीब मुसलमान
8 days ago
Written By: आदित्य कुमार वर्मा
UP Madrasa Education Reform: उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य के मदरसों में छात्रों को केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान जैसे मॉडर्न विषय भी पढ़ाए जाएंगे। ये विषय अब वैकल्पिक नहीं, बल्कि अनिवार्य होंगे। वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी इस फैसले को लेकर पहले ही अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण और हज राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने यूपी न्यूज़ से खास बातचीत में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
“आधुनिक शिक्षा जोड़कर जिम्मेदारी पूरी कर रही सरकार”
मदरसों में दीनी तालीम के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा देने के फैसले को लेकर यूपी न्यूज़ से खास बातचीत में दानिश आज़ाद अंसारी ने दावा किया है कि, “आधुनिक शिक्षा को मदरसा शिक्षा से जोड़कर योगी सरकार अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रही है।”
“अच्छी शिक्षा मिले, ये सरकार की जिम्मेदारी”
मंत्री अंसारी ने दावा किया है कि, "मदरसों में गरीब, पिछड़ा और पसमांदा समाज का बच्चा पढ़ने जाता है। तो जो लाखों बच्चे मदरसों के छात्र हैं, उनको अच्छी शिक्षा मिले, ये सरकार की जिम्मेदारी है और सूबे की योगी सरकार उस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रही है।"
“वो नहीं चाहते कि मुसलमान आगे बढ़े”
वहीं, इस नीति का विरोध कर रहे जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री अंसारी ने कहा है कि, "जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो नहीं चाहते हैं कि गरीब मुसलमान का बच्चा पढ़-लिखकर आगे बढ़े।" दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि मदरसे केवल दीन की तालीम के लिए हैं, वहां मॉडर्न शिक्षा लागू करना उचित नहीं है। जिसके बाद इसे लेकर सियासी बवाल छिड़ा हुआ है।
क्या है नई नीति
दरअसल, सूबे की योगी सरकार ने मदरसों में दीनी तालीम के साथ ही हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान जैसे मॉडर्न विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने का आदेश दिया है। इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है तथा इस समिति का अध्यक्ष अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के डायरेक्टर को बनाया गया है। यह समिति कक्षा 9 से 12 तक के मदरसा पाठ्यक्रम का पुनर्निर्धारण करेगी। इसके साथ ही शिक्षकों की संख्या, चयन प्रक्रिया और स्थानांतरण नीति पर भी सुझाव देगी। छात्र-शिक्षक अनुपात के अनुसार विषयवार शिक्षकों का समायोजन भी समिति की जिम्मेदारी में शामिल है।
मान्यता की शर्तों का होगा पुनः निर्धारण
वहीं, मदरसों की मान्यता के लिए निर्धारित शर्तों का पुनः निर्धारण भी किया जाएगा। समिति मदरसों के सुचारू संचालन, शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए जरूरी सुधारों पर सलाह देगी।
एक महीने में देनी होगी रिपोर्ट
वहीं सरकार ने समिति को निर्देश दिया है कि वह एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे। रिपोर्ट आने के बाद मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 और उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता प्रशासन एवं सेवा विनियमावली-2016 में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।